Lok Sabha Elections 2024: बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले 'सोशल इंजीनियरिंग' प्रयोग पर जोर, सीएम नीतीश ने दिखाई ताकत
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Lok Sabha Elections 2024: बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले 'सोशल इंजीनियरिंग' प्रयोग पर जोर, सीएम नीतीश ने दिखाई ताकत

Lok Sabha Elections 2024: बिहार के राजनीतिक दल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से कई महीने पहले चुनावी मोड में आ गए हैं और एक-दूसरे को हराने के लिए 'सोशल इंजीनियरिंग' के जरिए विभिन्न जातीय समीकरण बना रहे हैं. हालांकि बीजेपी ने पहले से ही विभिन्न जातिगत समीकरणों को जोड़ना शुरू कर दिया है.

Lok Sabha Elections 2024: बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले 'सोशल इंजीनियरिंग' प्रयोग पर जोर, सीएम नीतीश ने दिखाई ताकत

पटना: Lok Sabha Elections 2024: बिहार के राजनीतिक दल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से कई महीने पहले चुनावी मोड में आ गए हैं और एक-दूसरे को हराने के लिए 'सोशल इंजीनियरिंग' के जरिए विभिन्न जातीय समीकरण बना रहे हैं. हालांकि बीजेपी ने पहले से ही विभिन्न जातिगत समीकरणों को जोड़ना शुरू कर दिया है. अब जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल ने भी ऐसा ही करना शुरू कर दिया है और उन पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए) की घटक हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कर बीजेपी ने भूमिहार (या अगड़ी जाति) वोटों को एकजुट करने की कोशिश की है. वह 'यदुवंशी समाज मिलन सम्मेलन' के जरिए बड़ी संख्या में यादव समुदाय के लोगों को पार्टी में शामिल करके राजद के प्रभावशाली वोट बैंक में सेंध लगाने की भी कोशिश कर रही है.

बीजेपी ने 25 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानी झलकारी बाई की जयंती के रूप में मनाए जाने वाले दिन पटना के प्रतिष्ठित बापू सभागार सभागार में 'पान बुनकर रैली' का आयोजन करके अनुसूचित जातियों को प्रभावित करने के अपने प्रयास भी तेज कर दिए हैं. राजद यह भी चाहता है कि उसके मूल वोट बैंक, जिसमें यादव और मुस्लिम शामिल हैं, इसके अलावा समाज के सभी वर्गों के लोग उसे वोट दें. उनकी नजर भूमिहार विरोधी वोटों और भूमिहार जाति के वोटरों पर भी है.

हाल ही में बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्‍ण सिंह की जयंती पर राजद प्रदेश मुख्यालय में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और राज्य के मंत्री शामिल हुए थे.भूमिहार समुदाय के लोगों पर प्रभाव डालने के इस कार्यक्रम के दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि समुदाय को यह नहीं सोचना चाहिए कि राजद उनके खिलाफ है.

तेजस्वी ने कहा, "राजद एक ऐसी पार्टी है जो समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करती है. हम तहे दिल से चाहते हैं कि भूमिहार समुदाय आगामी लोकसभा चुनाव में हमें वोट दे." इस बीच जदयू ने भी बीजेपी की जाति आधारित रैलियों का जवाब देने के लिए 'भीम संसद' का आयोजन कर दलितों और महादलितों को लुभाने की कोशिश की है. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जदयू ने पटना में 'भीम संसद' आयोजित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि 'संविधान और लोकतंत्र खतरे में है' इसलिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.

चौधरी ने कहा, "भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा संविधान को बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं, "सांप्रदायिक ताकतें" समाज में वैमनस्य फैला रही हैं." बिहार बीजेपी के उपाध्यक्ष संतोष पाठक कहते हैं, "बीजेपी कभी भी जाति से जुड़ी राजनीति नहीं करती है. बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है और सभी को साथ लेकर चलने की बात करती है और समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए प्रयासरत है." उन्होंने यह भी कहा कि अब समाज के सभी वर्गों का बीजेपी के प्रति विश्‍वास बढ़ा है.

पाठक ने कहा, "2024 का लोकसभा चुनाव पिछले लोकसभा चुनावों से अलग होगा. इस बार के चुनाव में जदयू एनडीए से अलग महागठबंधन का हिस्सा रहेगा, मगर पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, महादलित नेता समेत लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों के बीजेपी से हाथ मिलाने की संभावना है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, जबकि राजद को शून्य और कांग्रेस को एक सीट मिली थी. बीजेपी और जदयू के कई सांसदों के 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की संभावना है. इसलिए सभी पार्टियां अलग-अलग जातीय समीकरण साधने में जुटी हुई हैं.

इनपुट- आईएएनएस

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