Ghatshila Assembly Seat: घाटशिला सीट पर इन मुद्दों को लेकर कड़ा मुकाबला, जानें किसकी सिर सजेगा जीत का ताज?
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Ghatshila Assembly Seat: घाटशिला सीट पर इन मुद्दों को लेकर कड़ा मुकाबला, जानें किसकी सिर सजेगा जीत का ताज?

Ghatshila Assembly Seat: घाटशिला सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है. विभिन्न राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं और हर पार्टी अपने मुद्दों के साथ मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश करेगी. इस सीट का चुनाव परिणाम न केवल घाटशिला के विकास पर असर डालेगा, बल्कि झारखंड की राजनीति की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

Ghatshila Assembly Seat: घाटशिला सीट पर इन मुद्दों को लेकर कड़ा मुकाबला, जानें किसकी सिर सजेगा जीत का ताज?

Ghatshila Assembly Seat: घाटशिला विधानसभा सीट झारखंड के महत्वपूर्ण 288 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस सीट पर आगामी चुनाव के लिए 13 नवंबर 2024 को वोट डाले जाएंगे और इसके नतीजे 23 नवंबर 2024 को घोषित किए जाएंगे. यह क्षेत्र झारखंड में अपनी खास भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान रखता है. पहले बिहार का हिस्सा रहे इस निर्वाचन क्षेत्र को 2000 में झारखंड राज्य के निर्माण के बाद से झारखंड में शामिल किया गया. यह क्षेत्र जमशेदपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है और सुवर्णरेखा नदी के किनारे बसा है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह इलाका अपने झरनों, नदियों, जंगलों, पहाड़ों और घाटियों के लिए जाना जाता है. सूर्यास्त के समय का यहां का दृश्य बेहद मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है.

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार घाटशिला का रेलवे स्टेशन दक्षिण-पूर्व रेलवे की मुख्य लाइन पर स्थित है, जो इसे देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है और क्षेत्र में आवागमन को आसान बनाता है. यहां की भूमि और प्रकृति की विविधता इसे झारखंड का एक अनूठा हिस्सा बनाती है. घाटशिला क्षेत्र में गांवों और शहरी बस्तियों का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है. यहां की कई ग्रामीण आबादी आज भी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है, जो इस क्षेत्र की परंपराओं और ग्रामीण जीवनशैली को संरक्षित रखता है. साथ ही घाटशिला अपनी खनिज संपदा, खासकर यूरेनियम और तांबे की खदानों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां का यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का कारखाना देशभर की यूरेनियम आवश्यकताओं को पूरा करने में एक अहम भूमिका निभाता है. खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के कारण इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत मानी जाती है, लेकिन यहां पर्यावरण और रोजगार के मुद्दों को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रहती हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञों ने आगे बताया कि घाटशिला क्षेत्र का शैक्षिक और सामाजिक स्तर भी अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बेहतर है. 2001 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की जनसंख्या 37,850 है, जिसमें 53% पुरुष और 47% महिलाएं शामिल हैं. यहां की औसत साक्षरता दर 73% है, जो इसे झारखंड के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में एक शिक्षित क्षेत्र बनाती है. साथ ही राजनीतिक दृष्टि से घाटशिला सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है, जिसका मतलब है कि यहां केवल अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार ही चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं. पिछले चुनाव परिणामों पर नजर डालें, तो इस सीट पर जेएमएम और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है. 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के रामदास सोरेन ने 63,531 वोटों के साथ जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के लखन चंद्र मार्डी को 56,807 वोट मिले थे. इसके अलावा आजसू पार्टी के प्रदीप कुमार बलमुचू ने 31,910 वोट प्राप्त किए थे. 2014 के चुनाव में बीजेपी के लक्ष्मण टुडू ने जीत हासिल की थी, जिन्हें 52,506 वोट मिले थे, जबकि जेएमएम के रामदास सोरेन को 46,103 और कांग्रेस की सिंड्रेला बलमुचू को 36,672 वोट मिले थे.

इसके अलावा आने वाले चुनाव में एक बार फिर घाटशिला सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है. विभिन्न राजनीतिक दलों ने यहां पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है और हर पार्टी अपने-अपने मुद्दों को लेकर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करेगी. इस सीट का चुनाव परिणाम न केवल इस क्षेत्र के विकास पर असर डालेगा, बल्कि झारखंड की समग्र राजनीतिक दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.

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