Jharkhand Vidhan Sabha Chunav 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. हेमंत सोरेन से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी ने अपनी हर गलती को सुधारने का पूरा प्रयास किया, जो उसने 2019 में की थी.
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Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. राज्य में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे और 23 नवंबर को मतगणना होगी. पिछले चुनाव में भाजपा को सत्ता में दूसरी बार वापसी का पूरा भरोसा था और उसने 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 'अबकी बार 65 पार' का नारा दिया था, लेकिन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन ने बाजी मार ली थी. इस बार हेमंत सोरेन से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी अपना पूरा जोर लगा रही है. पार्टी ने अपनी हर गलती को सुधारने का पूरा प्रयास किया, जो उसने 2019 में की थी. इस बार के चुनाव में पार्टी उत्साह के ट्रिपल डोज के साथ मैदान में उतर रही है. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत से मतवाली हुई बीजेपी ने सीट शेयरिंग को लेकर आजसू से भी गठबंधन तोड़ लिया था.
इसके कारण दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. इतना ही नहीं बीजेपी के तमाम नेता भी बागी हो गए थे. इनमें सरयू राय का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है. बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी खुद भाजपा के लिए रोड़ा अटकाने का काम कर रहे थे. वह जेवीएम नाम से अपनी पार्टी बनाकर बीजेपी को कोस रहे थे. हालांकि, इस बार उनकी बीजेपी में घर वापसी हो चुकी है. इतना ही नहीं पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा रखा है. मरांडी ने अपनी राजनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए हेमंत सोरेन के परिवार में सेंध लगा दी. उन्होंने हेंमत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को ही बीजेपी में शामिल करवा लिया. मरांडी के नेतृत्व में ही कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व सीएम चंपई सोरेन भी जेएमएम छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं.
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JMM को भी जो आदिवासी समाज का इतना वोट मिलता है, उसमें चंपई का बहुत बड़ा योगदान था. कोल्हान प्रमंडल की 14 सीटें रहती हैं, वहां पर बीजेपी का हाल बेहाल है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां से सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही थी, जबृकि झामुमो को 11 पर जीत मिली थी. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चंपई की मजबूत पकड़ ने ही उस इलाके में बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था. अब चंपई के बीजेपी में आने से आदिवासी समाज के वोटिंग पैटर्न में बदलाव आ सकता है. चंपई के कद को देखते हुए उनके आने से भाजपाई काफी खुश हैं.
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उधर हरियाणा में मिली जीत से बीजेपी कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ है. इसका पूरा फायदा पार्टी को झारखंड चुनाव में देखने को मिलेगा. झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में जिस तरीके से हिंदुओं पर हमले हुए, लव जिहाद के मामले आए, आदिवासी गांव में बांग्लादेशी घुसपैठियों का आना जाना बढ़ा, उससे झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार निशाने पर आ गई है. यहां बीजेपी इन्हीं मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है और पूरी ताकत झोंक रही है. हरियाणा में मिली जीत से बीजेपी को उम्मीद जगी है कि झारखंड में एक बार फिर से उसकी सरकार बन सकती है. दूसरी ओर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से एक और हिंदी भाषी राज्य में शिकस्त का सामना करना पड़ा है. इससे एक बार फिर से राहुल गांधी की काबिलियत पर सवाल उठ सकते हैं.
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