Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू यादव पर निशाना साधते हुए मांझी ने कहा कि लालू जी यूपीए सरकार में 10 साल थे, उस वक्त वह इतने शक्तिशाली थे कि अगर चाहते तो खुद को भी 'भारत रत्न' की उपाधि से सम्मानित करवा सकते थे पर कुछ नहीं किया.
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Bihar Politics: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादियों के दिवंगत नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. बिहार के तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के बीच 'क्रेटिड वॉर' शुरू देखने को मिल रहा है. बीजेपी के साथ-साथ जदयू और राजद भी इसका क्रेडिट लेने के लिए लड़ रही हैं. इस बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. जीतन राम मांझी ने इसके लिए पीएम मोदी की तारीफ करते हुए एक और बात के लिए 'मोदी की गारंटी' दे दी है.
मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मोदी सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करके केवल उनका सम्मान नहीं बढ़ाया है, बल्कि सभी पिछड़ी जातियों और जनजातियों का सम्मान बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी बात के लिए जाने जाते हैं. मांझी ने कहा कि कहा जा रहा था कि मोदी है तो मुमकिन है, आज ये बात साबित हो गई.
राजद सुप्रीमो लालू यादव पर निशाना साधते हुए मांझी ने कहा कि लालू जी यूपीए सरकार में 10 साल थे, उस वक्त वह इतने शक्तिशाली थे कि अगर चाहते तो खुद को भी 'भारत रत्न' की उपाधि से सम्मानित करवा सकते थे पर कुछ नहीं किया. उन्होंने आगे लिखा कि खैर मोदी है ना, सबका सपना पूरा होगा, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी एवं डॉ. श्रीकृष्ण सिंह भी सम्मानित होंगे क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है.
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बता दें कि लालू यादव ने भी क्रेडिट लेने की कोशिश करते हुए कर्पूरी ठाकुर को अपना राजनीतिक गुरू बताया है. उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा कि यह सम्मान काफी पहले मिल जाना चाहिए था. वह कई वर्षों से यह मांग कर रहे थे. लालू के मुताबिक, महागठबंधन सरकार ने बिहार में जो जातीय गणना कराई और आरक्षण बढ़ाया है, उसी से डरकर बीजेपी ने यह फैसला लिया है. वहीं अब बीजेपी पर पलटवार किया है और वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब 'ब्रदर्स बिहारी' में लिखी बात को उजागर कर दिया है.
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वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब 'ब्रदर्स बिहारी' में लिखा है कि लालू यादव ने कर्पूरी ठाकुर को कपटी ठाकुर का उपनाम दिया था. संकर्षण ठाकुर की किताब के मुताबिक ये घटना 80 के दशक की है. संकर्षण ठाकुर की किताब में एक और किस्से का जिक्र है, जिसमें लालू यादव ने कर्पूरी ठाकुर की खूब बेइज्जती की थी.