One Nation One Election पर कोविंद कमेटी में ऐसा क्या है, जिससे RJD परेशान हो गई?
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One Nation One Election पर कोविंद कमेटी में ऐसा क्या है, जिससे RJD परेशान हो गई?

Bihar Politics: पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था. इनमें से 32 ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन किया था, जबकि 15 पार्टियां विरोध में थीं. 15 दलों ने कोई जवाब नहीं दिया था.

तेजस्वी यादव

One Nation One Election: देश में एक बार फिर से 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की चर्चा शुरू हो गई है. जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को मान लिया है. समिति ने जो प्रस्ताव दिया था, वह मोदी कैबिनेट से पास हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस शीतकालीन सत्र में 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़ा बिल भी संसद के पटल पर रखा जा सकता है. हालांकि, विपक्ष ने अभी से इसका विरोध शुरू कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कहा कि हम इसके साथ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता. कांग्रेस की तरह बिहार में विपक्षी दल आरजेडी ने भी इसका विरोध किया है. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं, इस देश में वन नेशन-वन इलेक्शन पहले से था. 

मनोज झा ने आगे कहा कि ये (बीजेपी) लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीजों से ध्यान हटाया जाए. 1962 के बाद वन नेशन-वन इलेक्शन क्यों हटा, क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगा था. उन्होंने कहा कि आज देश को रोजगार चाहिए. क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा? आप खत्म हो जाएंगे, लेकिन विविधता बरकरार रहेगी. आरजेडी के ही दूसरे नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह एक राजनीतिक स्टंट है, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है और कई विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार दिए हैं. हालांकि, सरकार क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है और इससे संवैधानिक संकट पैदा होगा.

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वहीं जेडीयू ने इसका समर्थन किया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि एक देश-एक चुनाव पर उनकी पार्टी और एनडीए की राय एक समान है. उन्होंने कहा कि हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी. बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति में रुकावट पैदा होती है और तमाम तरह की परेशानियां भी आती हैं. हम के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के विचार भी जेडीयू से मिलते-जुलते हैं. उन्होंने भी इसका समर्थन किया है. वहीं लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी इसके समर्थन में हैं. वहीं इससे पहले कई मामलों में चिराग विपक्षी दलों का साथ दे चुके हैं. 

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आरजेडी इस बिल का यूं विरोध नहीं कर रही है, बल्कि इसके पीछे बड़ा कारण भी है. सूत्रों के मुताबिक, कोविंद कमेटी ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए. अगर ऐसा हुआ तो बिहार में अगला विधानसभा चुनाव 2029 में होगा. इससे तेजस्वी यादव द्वारा अभी तक की गई सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और नीतीश कुमार को 2029 तक वक्त मिल जाएगा. दूसरी ओर अगर चुनाव हो गया तो नई सरकार का कार्यकाल 2029 तक रहेगा. पिछले चुनाव में काफी कड़े मुकाबले में हारे महागठबंधन को इस बार जीत हासिल करने का पूरा विश्वास है. अगर ऐसा होता है तो बिहार की अगली विधानसभा के पास काम करने के लिए केवल 42 महीनों का समय ही मिलेगा.

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