खूंटी लोकसभा क्षेत्र चार जिलों और 6 विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है. इस संसदीय क्षेत्र में खरसावां, तमर, तोरपा, सिमडेगा, खूंटी और कोलेबिरा विधानसभाएं आती हैं.
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Khunti Lok Sabha Seat Profile: झारखंड के खूंटी जिला अपने संघर्ष और विद्रोह के कारण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. भगवान बिरसा मुंडा के आंदोलन ने अंग्रेजों की चूलें हिला दी थीं. बिरसा मुंडा के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ लंबे समय से किए गए संघर्ष के लिए खूंटी ने इतिहास में अपनी विशेष जगह बनाई. यह जिला मुंडा जनजातियों के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि छोटानागपुर के राजा मदरा मुंडा के बेटे सेतिया के आठ बेटे थे. उन्होंने ही एक खुंटकटी गांव की स्थापना की जिसे उन्होंने खुंति नाम दिया, जो बाद में खूंटी हो गया.
खूंटी लोकसभा सीट का पूरा इलाका लगभग नक्सल प्रभावित है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र चार जिलों और 6 विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है. इस संसदीय क्षेत्र में खरसावां, तमर, तोरपा, सिमडेगा, खूंटी और कोलेबिरा विधानसभाएं आती हैं. ये पूरा क्षेत्र जनजातियों की जनता के लिए आरक्षित है. यही वजह है कि इस पूरे लोकसभा क्षेत्र के अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित रखा गया है.
इस सीट का चुनावी इतिहास
कहा जात है कि खूंटी के लोग अपना नेता बार-बार नहीं बदलते हैं, शायद यही वजह है कि करिया मुंडा यहां से 8 बार जीते. शुरुआती दौर में कांग्रेस के जयपाल सिंह भी लगातार तीन चुनाव जीते थे. हालांकि, करिया मुंडा की वजह से ही यह सीट बीजेपी का अभेद्य किला बन चुकी है. इस सीट पर 1952 में पहली बार आम चुनाव हुए थे. 1952, 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जयपाल सिंह सांसद चुने गए थे.
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करिया मुंडा 8 बार बनें सांसद
1977 में करिया मुंडा पहली बार जीते थे इस चुनाव में वह झारखंड पार्टी की टिकट से मैदान में थे. इसके बाद वह लगातार 5 बार (1989, 1991, 1996, 1998 और 1999) बीजेपी के टिकट पर करिया मुंडा जीत दर्ज करके दिल्ली पहुंचे थे. इसके बाद 2009 और 2014 में भी उन्हें जीत मिली. इस तरह से वह इस सीट से 8 बार जीत हासिल कर चुके हैं. 1977 का चुनाव छोड़ दें तो वो बाकी के सारे चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़े थे. 2019 में बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने कमल खिलाया था.