Opposition Unity: 'जरूरी नहीं जो पहल करे वही PM कैंडिडेट बने...', CM नीतीश के सपनों पर पानी फेरेगी कांग्रेस!
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Opposition Unity: 'जरूरी नहीं जो पहल करे वही PM कैंडिडेट बने...', CM नीतीश के सपनों पर पानी फेरेगी कांग्रेस!

Opposition Meeting: कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल विपक्षी एकता के प्रतिनिधि हैं. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

Mission 2024: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता वाली फिल्म फ्लॉप होते हुए दिखाई दे रही है. कांग्रेस ने पहले तो नीतीश कुमार को अगुवाकार बना दिया और अब वो खुद ही उनके नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. तभी तो पटना में 12 जून को होने वाली मीटिंग आखिरी मौके में स्थगित कर दी गई थी. बैठक रद्द होने से नीतीश की काफी भद्द पिटी. हालांकि, अब ये मीटिंग 23 जून को होगी. लेकिन इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया है कि जरूरी नहीं कि जो अगुवाकार बने वही पीएम कैंडिडेट भी बने. 

कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने एनबीटी को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल विपक्षी एकता के प्रतिनिधि हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के आने से ये नहीं साफ होता कि नीतीश कुमार ही नेतृत्व करेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सामने नीतीश कुमार की हैसियत ही क्या है? कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है, जबकि नीतीश कुमार का तो बिहार में ही जनाधार नहीं है. विपक्ष की बैठक में खड़गे-राहुल के आने का मतलब भी सिर्फ इतना ही है कि वह नीतीश कुमार की भावना का सम्मान करना चाहते थे. 

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कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने साफ कहा कि राहुल गांधी के होते हुए नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. उनके इस बयान ने राजनीतिक पारे को काफी बढ़ा दिया और नीतीश कुमार के सपने को चकनाचूर कर दिया है. बता दें कि राजद के समर्थन से जदयू ने नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट घोषित कर रखा है. हालांकि, नीतीश कुमार ने कभी पीएम बनने की बात नहीं की. लेकिन मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए वो पसीना भी खूब बहा रहे हैं. 

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मौजूदा हालात कुछ-कुछ 2019 जैसे ही नजर रहे हैं. जो काम आज नीतीश कुमार कर रहे हैं उस वक्त वही काम एन. चंद्रबाबू नायडू कर रहे थे. कर्नाटक के बाद कोलकाता में भी मोदी विरोधियों का जमावड़ा लगा. विपक्ष में शामिल सभी नेता एक-दूसरे का हाथ थामे दिखाई दिए. उस तस्वीर को देखकर 1977 की याद आ गई, जब इंदिरा के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हो गया था. हालांकि, सभी नेताओं की व्यक्तिगत आकांक्षाएं विपक्षी एकजुटता पर हावी पड़ गई और चुनाव आते-आते ये एकता ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी.

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