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पटना: Nagar Nikay Chunav: बिहार में नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर जेडीयू-बीजेपी में वार पलटवार का दौर शुरू हो चुका है. जदयू ने भारतीय जनता पार्टी को अति पिछड़ा विरोधी और आरक्षण विरोधी बताया है. यही नहीं जदयू ने अति पिछड़े की आरक्षण की लड़ाई को सामान्य वर्ग को मिल रहे 10 फीसदी के आरक्षण तक लेकर पहुंच गया है.
जाति रिलेटेड कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि बिहार में न तो कमीशन बनाने की जरूरत है और न ही ट्रिपल टेस्ट. बिहार में 2006 से अति पिछड़ों को आरक्षण लागू है. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त इसे सही कहा था. उस वक्त से अभी तक निकाय में आरक्षण लागू है. बीजेपी के नेताओं को बुद्धि बाजार से नहीं मिलेगी. देश में जाति रिलेटेड कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. बिहार में आयोग बनाने की जरूरत नहीं है. बीजेपी आरक्षण विरोधी है. आरएसएस के सुप्रीमो ने एससीएसटी आरक्षण के बारे में क्या कहा. बिहार सरकार का अपना एक्ट है. सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि आरक्षण देना सही है. बीजेपी आयोग गठन करके अति पिछड़ों को आरक्षण में उलझना चाहती है. बीजेपी के आंदोलन से जदयू को कोई फर्क नहीं पड़ता है. सीएम नीतीश कुमार के रहते अति पिछड़े के हक को कोई नहीं छीन सकती. जदयू बीजेपी के खिलाफ सभी जिला मुख्यालय में आरक्षण विरोधी आंदोलन करेंगे.
बीजेपी को आरक्षण विरोधी
वहीं जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताते हुए कहा है कि जब देश में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया तो वहां कौन सा कमीशन बनाया गया. बिना कमीशन के ही सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया गया. आरक्षण का दायरा को 60 फीसदी तक पहुंचा दिया गया है. उन्होंने कहा कि अति पिछड़े का आरक्षण के विरोध में पेटिशनर कौन हैं. इसे आप देखिए. बीजेपी नेताओं के घरों में जश्न मनाया जा रहा है. बीजेपी आरक्षण विरोधी है. सिर्फ बिहार में आरक्षण रोकने की साजिश नहीं बल्कि पूरे देश में यह चल रहा है. बीजेपी कोर्ट के सहारे ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को उलझना चाह रही है. जिस ट्रिपल टेस्ट की बात हो रही है. ट्रिपल टेस्ट में 50 फीसदी के दायरे के अंदर है.
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