Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना को पटना हाईकोर्ट ने दिखाई हरी झंडी, 10 प्वाइंट में जानें पूरा मामला
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Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना को पटना हाईकोर्ट ने दिखाई हरी झंडी, 10 प्वाइंट में जानें पूरा मामला

जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लगातार 5 दिनों तक सुनवाई की. उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब 25 दिन बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. 

फाइल फोटो

Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पटना हाईकोर्ट से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना को हरी झंडी दे दी है. इससे अब जातीय जनगणना कराने का रास्ता साफ हो गया है. मंगलवार (01 अगस्त) को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने बिहार में सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण कराने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लगातार 5 दिनों तक सुनवाई की. उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब 25 दिन बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. 

जातीय जनगणना में अबतक क्या-क्या हुआ?

1. बिहार सरकार ने 6 जून 2022 को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी. इस काम के लिए बिहार सरकार ने आकस्मिकता निधि (कंटीजेंसी फंड) से 500 करोड़ रुपये जारी किया था. इस काम को बिहार सरकार के 5 लाख कर्मचारी अंजाम देंगे. इसमें सरकारी कर्मचारी के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी भी काम करेंगी. मई 2023 तक इस सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार में जाति आधारित गणना के लिए पोर्टल को तैयार कर लिया गया है. जाति आधारित गणना में डिजिटल काम का जिम्मा दिल्ली की कंपनी ट्राइजिन टेक्नोलॉजी को सौंपा गया है.

2. जातीय जनगणना पर बिहार सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने के लिए 20 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था. जाति-आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ यूथ फॉर इक्वेलिटी समूह सहित कई याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दायर की गई थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह कवायद जाति जनगणना नहीं है, बल्कि यह एक जाति सर्वेक्षण है. 4 मई 2023 को पटना उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाई थी और राज्य सरकार को सर्वेक्षण का डेटा संरक्षित रखने का निर्देश दिया था.

3. बिहार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय को सूचित किया कि "सर्वेक्षण" का 80% पूरा हो गया था. पटना हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में बिहार सरकार से 11 बिंदुओं पर सवाल पूछे थे. 7 जुलाई 2023 को पटना उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली कुल 8 जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण 7 जनवरी, 2023 से शुरू हुआ जो 21 जनवरी को समाप्त हुआ.

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4. पहले चरण में राज्य के सभी घरों की संख्या गिनी और दर्ज की गई. पहले चरण के आकड़ों के आधार पर दूसरे चरण की गणना होगी. प्रथम चरण में एकत्रित किए गए सभी आंकड़ों को अब इस पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा और ये आंकड़े मोबाइल एप पर द्वितीय गणना के समय प्रगणक और पर्यवेक्षकों को उपलब्ध होंगे. पहले चरण में ढाई करोड़ से अधिक परिवारों की हुई गिनती जाति गणना के पहले चरण में 38 जिलों में बिहार भर (जिनमें 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय हैं), के करीब दो करोड़ 58 लाख 90 हजार 497 परिवारों तक गणना कर्मियों ने पहुंच कर मकानों की नंबरिंग की.

5. पहले चरण में परिवार के मुखिया का नाम और वहां रहने वाले सदस्यों की संख्या को अंकित किया गया था. 7 जनवरी से शुरू हुए पहले चरण की जाति गणना में पांच लाख 18 हजार से अधिक कर्मी लगाये गए थे. पटना जिले में 14.35 लाख परिवारों का सर्वेक्षण हुआ. छुटे हुए परिवार जिला जाति गणना कोषांग को जानकारी देंगे. सर्वेक्षण के दूसरे चरण में जो 15 अप्रैल से 15 मई के बीच होना था. इसमें घरों में रहने वाले लोगों, उनकी जाति, उपजाति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि को एकत्र किया जाएगा. 

6. जाति आधारित सर्वेक्षण 31 मई, 2023 को समाप्त होगा. इस चरण में, 3.04 लाख से अधिक प्रगणक उत्तरदाताओं से जाति सहित 17 प्रश्न पूछेंगे. प्रत्येक प्रगणक को 150 घरों तक पहुंचने का लक्ष्य दिया गया है. सभी 17 प्रश्न अनिवार्य हैं, आधार संख्या, जाति प्रमाण पत्र संख्या और परिवार के मुखिया का राशन कार्ड नंबर भरना वैकल्पिक है. बिहार सरकार ने सूबे की 215 अलग-अलग जातियों के लिए अलग-अलग कोड निर्धारित किए हैं. किसी विशेष जाति की संबंधित उप-श्रेणियों को एक एकल सामाजिक इकाई में मिला दिया गया है, और उनके पास जाति-आधारित हेडकाउंट के महीने भर के दूसरे चरण के दौरान उपयोग के लिए एक संख्यात्मक जाति कोड है. 

7. वहीं इस चरण में नाम दर्ज कराने को लेकर विशेष सख्ती रहेगी. अगर कोई दो बार नाम लिखाने का प्रयास करेगा तो अब एप ऐसे लोगों को चिन्हित कर लेगा. राज्य के बाहर रहने वाले लोगों के नाम भी दर्ज किये जाएंगे. पटना जिले में 12 हजार 831 गणना कर्मियों को 15 अप्रैल से 15 मई तक 73 लाख 52 हजार 729 लोगों की गणना करनी थी. 15 अप्रैल 2023 को सीएम नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर स्थित अपने पैतृक घर से जाति आधारित सर्वेक्षण के दूसरे चरण का शुभारंभ किया था. 22 जनवरी 2023 से लेकर दूसरे चरण की समाप्ति तक जन्म लिए नवजात की गणना नहीं हुई है. 

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8. सीएम नीतीश कुमार ने बताया था कि डाटा का काम पूरा होने के बाद जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद के पटल पर रखी जाएगी. उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी. गणना के दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से 15 मई 2023 तक सभी 261 निकायों व 534 प्रखंडों में चलना था. 

9. बता दें कि 2011 की जनगणना के आधार पर बिहार में परिवार की संख्या एक करोड़ 89 लाख थी. 12 वर्षों में इसमें एक करोड़ 61 लाख वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है. इसी तरह राज्य में एक से सवा करोड़ घर या बसावट होने का भी आंकलन किया जा रहा है. 2011 की जनगणना के अनुसार पटना में प्रति परिवार में सदस्यों की संख्या औसतन 4.1 थी जो 2022 में बढ़ाकर 5.3 हो गई है, यानी प्रति परिवार सदस्यों की संख्या में 1.2 की बढ़ोतरी हुई है. 

10. पटना जिले की जनसंख्या 58 लाख से बढ़कर 73 लाख हो गई है. पिछले 11 वर्षों में पटना की जनसंख्या में 15 लाख से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. पटना जिले की जनसंख्या वृद्धि दर 2011 की तुलना में 2 अधिक बढ़ी है. परिवारों की संख्या भी चार लाख से अधिक बढ़ी है. यह 21 जनवरी तक कराई गई जाति आधारित गणना के पहले चरण की रिपोर्ट में सामने आया है.

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