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पटना: बिहार की राजधानी पटना में बहुप्रतिक्षित विपक्षी एकता की बैठक 23 जून को संपन्न हो गई लेकिन इसने बिहार की सियासत का तापमान जरूर बढ़ा दिया. अब यह बैठक 12 जुलाई को शिमला में होनेवाली है. ऐसे में बिहार में भाजपा से महागठबंधन के दलों का विरोध करनेवाले तमाम सियासी दल इसपर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में विपक्षी एकता की बैठक को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बैठक होने से पहले मुझको लगता था सभी मिलकर देश के सामने कोई नया अभियान, कोई नया एजेंडा रखेंगे और इस पर सहमति बनाएंगे.
कुशवाहा ने आगे कहा कि इस बैठक में एजेंडे पर कोई बातचीत नहीं हुई, सिर्फ नकारात्मक आधार पर बात हुई कि नरेंद्र मोदी को हटाना है. इसलिए सब एक हो रहे हैं. इन लोगों को जनता को बताना पड़ेगा कि यह चाहते क्या हैं? इस तरह से गोलबंद विपक्ष के लोग पहले भी हुए हैं और प्रयोग किया है. कई बार ऐसे प्रयोग हुए हैं और देश के लोगों ने भरोसा किया है लेकिन नतीजा यही हुआ है कि 2 साल के बाद मध्यावधि चुनाव हुए हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि इस विपक्षी एकता की बैठक में केवल हंसी मजाक हुआ है और इसी पर मीटिंग हुई, बाकी कोई सीरियस बात नहीं हुई. मीटिंग में जो एजेंडा केजरीवाल उठाना चाहते थे उस पर शिवानंद तिवारी अब किस तरह से बयान दे रहे हैं. मीटिंग में जो लोग शामिल थे सब एक दूसरे को ब्लैकमेलर पहले से कहते रहें हैं. फिलहाल भी कहने से बाज नहीं आ रहे हैं.
केजरीवाल को ब्लैकमेलर आरजेडी के नेता कह रहे हैं. कल कांग्रेस को कोई और नेता कहेगा. इन लोगों के पास देश कहीं नहीं है. इनको देश की चिंता नहीं है बल्कि नरेंद्र मोदी को हटाने की चिंता है. 2024 में नरेंद्र मोदी हटने वाले नहीं हैं. कोई भी राष्ट्रीय पार्टी लीड करती है और विपक्ष में राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है, क्षेत्रीय पार्टी को उनके पीछे रहना पड़ता है लेकिन कांग्रेस भी अब मजबूत नहीं है. उसको अभी अपने में मजबूती लाना होगा. गर्मी काफी पड़ रही है तो अगली बार अब यह लोग मीटिंग शिमला में करेंगे और वहां भी हंसी मजाक करेंगे, आनंद लेंगे. इस से ज्यादा कुछ नहीं होगा.
(रिपोर्ट- रूपेंद्र श्रीवास्तव)