Bihar Politics: JDU में संजय झा के मजबूत होने के मायने क्या हैं? 5 प्वाइंट्स में समझिए
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Bihar Politics: JDU में संजय झा के मजबूत होने के मायने क्या हैं? 5 प्वाइंट्स में समझिए

Bihar Politics: बिहार के सियासी गलियारों में अब संजय झा ही हॉट टॉपिक हैं. राजनीतिक विश्लेषक उनकी पूरी पॉलिटिकल जर्नी को एनलाइज करने में जुटे हैं. 

संजय झा

Bihar Politics: संजय झा को आखिरकार जेडीयू में उनकी मेहनत का फल ही मिल ही गया. दिल्ली में जेडीयू की कार्यकारिणी बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की कुर्सी सौंप दी. जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर उन्होंने नीतीश कुमार का आभार जताते हुए खुशी जताई. उन्होंने कहा कि हमारे नेता और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष सीएम नीतीश कुमार ने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है. मेरा पूरा ध्यान संगठन को मजबूत बनाते हुए प्रदेश के विकास पर होगा. सीएम नीतीश ने अपनी पार्टी में बड़ा बदलाव किया है, तो राजद की इस पर प्रतिक्रिया आई. पार्टी ने यहां पर भी जातिवाद का कार्ड खेला. इतना ही नहीं राजद के मुताबिक, नीतीश कुमार ने बीजेपी के दबाव में ये फैसला लिया है. अब सवाल ये है कि सीएम नीतीश कुमार ने संजय झा को ही जेडीयू की कमान क्यों सौंपी और उनको मजबूत बनाने के मायने क्या हैं?

  1. बिहार के सियासी गलियारों में अब संजय झा ही हॉट टॉपिक हैं. राजनीतिक विश्लेषक उनकी पूरी पॉलिटिकल जर्नी को एनलाइज करने में जुटे हैं. राजनीति के जानकारों के हिसाब से नीतीश कुमार ने संजय झा को उनके काम का ईनाम दिया है. इसमें कोई शक नहीं कि संजय झा ही वो नेता हैं जो नीतीश कुमार को दोबारा से एनडीए में लेकर आए थे. 
  2. दरअसल, संजय झा ने अपनी राजनीति की शुरुआत बीजेपी के साथ की थी. बाद में वो नीतीश कुमार के साथ आ गए थे. इस तरह से वह बीजेपी-जेडीयू के बीच एक मजबूत कड़ी साबित हुए. कहा जाता है कि उनकी सलाह पर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद को छोड़कर बीजेपी के साथ आने पर राजी हुए थे. हालांकि, इस तरह की आधिकारिक तौर पर कोई बात सामने नहीं आई है.
  3. वह सीएम नीतीश कुमार के विश्वासपात्र नेताओं में से एक हैं. नीतीश कुमार को संकटों से उबारने में कम से कम दो मौकों पर संजय झा ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. 2017 और 2023 दोनों बार संजय झा ने बीजेपी से तालमेल बिठा कर नीतीश की एनडीए में वापसी का रास्ता आसान कर दिया. बीजेपी के साथ डील में उन्होंने नीतीश कुमार को कमजोर नहीं पड़ने दिया था और मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को ही दिलावाई.
  4. इस लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. चुनाव परिणामों से उसका फल भी मिला. इस चुनाव से पहले लोग नीतीश कुमार को सबसे कमजोर आंक रहे थे, लेकिन चुनाव के बाद जेडीयू फिर से पूरी ताकतवर बनकर उभरी है.
  5. पिछले कुछ वर्षों में जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते का इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. संजय झा अब बीजेपी और एनडीए के साथ बेहतर तरीके से तालमेल बिठाएंगे. बीजेपी से अच्छे रिश्ते के  कारण वह हमेशा अच्छी डील हासिल करते हुए और दोनों पार्टियों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रख सकते हैं. वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज में से कोई एक जरूर दिला सकते हैं.

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