बिहार में जातीय जनगणना के दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. वहीं दूसरी तरफ इस जनगणना का कई पार्टियों के द्वारा विरोध भी किया जा रहा है. आपको बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत के साथ ही इसको लेकर राजनीतिक चरम पर है. एक तरफ बिहार में सभी दल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं.
Trending Photos
पटना : बिहार में जातीय जनगणना के दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. वहीं दूसरी तरफ इस जनगणना का कई पार्टियों के द्वारा विरोध भी किया जा रहा है. आपको बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत के साथ ही इसको लेकर राजनीतिक चरम पर है. एक तरफ बिहार में सभी दल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं. तो वहीं भाजपा अकेले अपने दम पर बिहार में राजनीतिक रंग जमाने की कोशिश में लग गई है. बिहार में बदलते सियासी समीकरण इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि जल्द हीं यहां राजनीति एक नया मोड़ लेने वाली है. ऐसे में बिहार में भाजपा नेताओं को लग रहा है कि जाति जनगणना का राजनीतिक फायदा नीतीश को मिलने वाला है.
बिहार भाजपा नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष विजय सिन्हा ने इस बात को कहा हालांकि वह इशारों में इस बात को कह गए दरअसल जातीय जनगणना में ड्यूटी की वजह से स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है. ऐसे में विजय सिन्हा नीतीश सरकार पर सीधे हमलावर नजर आए. विजय सिन्हा ने सफ तौर पर कहा कि बिहार के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नीतीश कुमार सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं. स्कूलों को सीनियर छात्रों के भरोसे छोड़ दिया गया है. एक तो दो साल कोरोना की वजह से शिक्षा व्यवस्था चौपट रही. इस साल लगा था कि अब बच्चे अच्छी पढ़ाई कर पाएंगे लेकिन हो कुछ और रहा है.
बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना के लिए स्कूल के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है जिसकी वजह से पढ़ाई लिखाई स्कूलों में ठप्प पड़ गई है. कई स्कूलों में बड़े बच्चों के भरोसे छोटे बच्चों की कक्षाएं चल रही हैं. वहीं बिहार की इस जातीय जनगणना को अब राजनीतिक दलों ने भी भुनाना शुरू कर दिया है. कर्नाटक के चुनाव में भी जाति जनगणना का मुद्दा उठा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो वहां कह दिया कि 2011 में
यूपीए सरकार ने जाति जनगणना कराई थी लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार इसके आंकड़े जारी नहीं कर रही है.
ये भी पढ़ें- माफिया को 'शहीद' बताकर माहौल बिगाड़ने वालों पर सख्ती करे सरकार: सुशील कुमार मोदी
कांग्रेस यह भूल गई है कि पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक जातीय जनगणना को विभाजनकारी मानते थे और इसका समर्थन कभी भी नहीं किया लेकिन अब जब पूरे देश में कांग्रेस हाशिए पर है तो उसे भी लग रहा है इस मुद्दे को उठाकर वह ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में कर सकती है.