Bihar Politics: नीतीश को आगे करना, कांग्रेस और राजद की मजबूरी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस और राजद की मजबूरी को गठबंधन के अन्य दल भी समझेंगे? क्या ममता और केजरीवाल अब नीतीश कुमार को आगे करने की सोचेंगे?
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Bihar Politics: बिहार में मची सियासी उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इंडी अलायंस का संयोजक बनाने की चर्चा तेज हो गई है. कहा जा रहा है कि इंडी अलायंस में शामिल घटक दलों के प्रमुख नेता जल्द ही नीतीश के साथ बातचीत कर सकते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस बार नीतीश कुमार का सपना पूरा होगा या उनके साथ फिर से खेला हो जाएगा. दरअसल, दिल्ली बैठक से पहले भी नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की चर्चा हो रही थी. जेडीयू की ओर से तो बकायदा पटना में पोस्टर लगा दिए गए थे, लेकिन दिल्ली में उनके सपनों पर पानी फिर गया.
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार के साथ खेला कर दिया था. इससे नीतीश कुमार काफी नाराज हो गए थे. उनके गुस्से का पहला शिकार ललन सिंह हुए और अब तेजस्वी यादव को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है. नीतीश को आगे करना, कांग्रेस और राजद की मजबूरी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस और राजद की मजबूरी को गठबंधन के अन्य दल भी समझेंगे? क्या ममता और केजरीवाल अब नीतीश कुमार को आगे करने की सोचेंगे?
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इंडिया ब्लॉक में शामिल टीएमसी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और डीएमके जैसे दल अपने-अपने राज्यों में अच्छी-खासी ताकत रखते हैं. इसमें भी कोई शंका नहीं है कि वो जेडीयू से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि बिहार में तो लोकसभा की सिर्फ 40 सीटें हैं और इसमें भी जब बंटवारा होगा तो जेडीयू को ज्यादा से ज्यादा 17 सीटें ही मिलेंगी. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार भी लगभग इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. टीएमसी, आप, सपा और द्रमुक तो इससे कहीं ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है. ऐसी स्थिति में इन पार्टियों के नेता नीतीश कुमार को चेहरा क्यों बनने देंगे?
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राजद और कांग्रेस की मजबूरी तो समझ में आती है, लेकिन अन्य विपक्षी दल भल समझौता क्यों करेंगे? उन्हें बिहार की राजनीति से क्या लाभ होगा? नीतीश कुमार को वह अपने सिर पर क्यों बिठाकर घूमेंगे? नीतीश तो पहले दिन से ही प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. इसी सपने को लेकर वह पटना, बेंगलुरू, और मुंबई के बाद दिल्ली बैठक में शामिल हुए थे. दिल्ली बैठक में ममता और केजरीवाल ने उनके सपने को चकनाचूर कर दिया था.