संकट में है बिहार का महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना टिशू कल्चर लैब
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संकट में है बिहार का महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना टिशू कल्चर लैब

Bihar News: करीब एक लाख बांस के पौधे वितरित किए जा चुके हैं, लेकिन मार्च 2023 के बाद इस प्रोजेक्ट पर संकट के काले बादल छाने लगे. प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक बीएसएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो संजीव कुमार ने बताया कि राशि नहीं मिलने के कारण प्रयोगशाला के कर्मी चले गए हैं.

संकट में है बिहार का महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना टिशू कल्चर लैब

सुपौल : बिहार का महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना टिशू कल्चर लैब आवंटन के अभाव में दम तोड़ रहा है. कहा जाता है कि बिहार में भागलपुर के अलावा सिर्फ सुपौल में ही स्थापित है टिशू कल्चर लेब. जिसमें उन्नत किस्म के बांस के पौधे प्रयोगशाला में तैयार होते हैं, लेकिन मार्च 2023 के बाद आबंटन नहीं मिलने के कारण प्रयोगशाला में कार्य करने वाले कर्मी काम छोड़कर वापस चले गए हैं. जिससे इसमें उत्पादन ठप्प हो चुका है.

अगस्त 2018 को जिला मुख्यालय के बीएसएस कॉलेज में सूबे का सबसे बड़ा टिशू कल्चर लेब का उद्घाटन तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने किया था. सरकार का उद्देश्य था कि प्रयोगशाला में बांस की उन्नत किस्म तैयार कर किसानों तक पहुंचाना है. योजना सुचारू रूप से संचालित होने लगी और लगातार इस लेब से बांस के छोटे छोटे पौधे वन विभाग और फिर किसान तक पहुंचने लगे. कहा जाता है कि अब तक करीब एक लाख बांस के पौधे वितरित किए जा चुके हैं, लेकिन मार्च 2023 के बाद इस प्रोजेक्ट पर संकट के काले बादल छाने लगे. प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक बीएसएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो संजीव कुमार ने बताया कि राशि नहीं मिलने के कारण प्रयोगशाला के कर्मी चले गए हैं. जिसके चलते फिलहाल प्रयोगशाला में बम्बू के पौधे का उत्पादन बंद है. उन्होंने कहा कि जो पौधे प्रयोगशाला से निकलकर जमीन में लगाया गया है उसकी देखभाल फिलहाल की जा रही है ताकि उन बांस के पौधों का संरक्षण कर उसे वन विभाग के सुपुर्द किया जा सके.

कोसी के इलाके में व्यापक पैमाने पर बांस की खेती होती रही है, जो बांस दूर दराज भेजे जाते हैं. इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है. कहा ये भी जाता है कि जहां बांस की खेती है वहां कटाव के कम संभावना रहती है. बांस से भुसंरक्षण भी होता है, इस उद्देश्य से भी बांस की खेती इस इलाके के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. शायद इन्हीं बातों को लेकर सरकार द्वारा बिहार का दूसरा सबसे बड़ा प्लांट सुपौल में स्थापित किया गया, लेकिन इस प्लांट की हालत वर्तमान समय में अत्यंत ही दयनीय हो चुकी है. प्रयोगशाला में कर्मी नहीं होने के कारण लेब में तैयार बम्बू का पौधा सुख कर बर्बाद हो चुका है. सिर्फ जो पौधे प्रयोगशाला से बाहर जमीन में लगाया गया है उसकी महज देखभाल हो रही है.

प्राचार्य ने बताया कि फिलहाल वो अपने स्तर से इन पौधों को संरक्षित कर इनकी देखभाल करवा रहे हैं. कहा कि प्रोजेक्ट के वित्त संकट को लेकर राज्य सरकार को उनके स्तर से लिखित सूचना दी गई है. अब देखते हैं कब तक इस दिशा में पहल की जा रही है.

इनपुट- सुभाष चंद्रा

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