झारखंड भर में लाखों पुरुषों और महिलाओं ने राज्य के सबसे लोकप्रिय त्योहार छठ के आखिरी दिन सोमवार को उगते सूरज को अर्घ्य दिया. भक्ति गीतों और पटाखों के बीच 36 घंटे का कठिन उपवास रखने वाले व्रतियों ने राज्य के विभिन्न घाटों में उगते सूर्य को 'उषा अर्घ्य' दिया.
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Ranchi: झारखंड भर में लाखों पुरुषों और महिलाओं ने राज्य के सबसे लोकप्रिय त्योहार छठ के आखिरी दिन सोमवार को उगते सूरज को अर्घ्य दिया. भक्ति गीतों और पटाखों के बीच 36 घंटे का कठिन उपवास रखने वाले व्रतियों ने राज्य के विभिन्न घाटों में उगते सूर्य को 'उषा अर्घ्य' दिया. बहुत से लोगों को पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से भरी टोकरियों को नदियों और अन्य जलाशयों के तटों पर बने घाटों तक ले जाते हुए देखा गया.
ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ जमशेदपुर में सूर्य नमस्कार किया, जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों और विधायकों ने अपने-अपने स्थानों पर पूजा की. श्रद्धालु सुबह-सुबह नदियों और जलाशयों के घाटों पर पहुंचे और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. चार दिवसीय पर्व 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ, जब श्रद्धालु और उनके परिवार के सदस्य स्नान के बाद सात्विक भोजन करते हैं. इसके एक दिन बाद खरना होता है जब चावल की खीर और रोटी का प्रसाद परिवार और दोस्तों के साथ साझा किया जाता है.
त्योहार का समापन सोमवार की सुबह उगते सूर्य की पूजा के साथ हुआ, जिसके बाद श्रद्धालु फलों और ठेकुआ के साथ अपना उपवास तोड़ते हैं. राहत की बात है कि किसी भी जगह से अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. सुरक्षाकर्मियों ने सुबह श्रद्धालुओं की पूजा पूरी करने में मदद की. इस अवसर पर पूरे झारखंड में जलाशयों को साफ किया गया था.
रांची के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (कानून-व्यवस्था) राजेश्वर नाथ आलोक ने बताया कि रांची के सभी छठ घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि रविवार को सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक और सोमवार को दोपहर दो बजे से रात 10 बजे तक रांची में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.
(इनपुट भाषा के साथ)