ED ने छवि रंजन को 24 अप्रैल को पेशी के लिये नया समन भेजा, जानें क्या है पूरा मामला
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ED ने छवि रंजन को 24 अप्रैल को पेशी के लिये नया समन भेजा, जानें क्या है पूरा मामला

झारखंड के आईएएस अधिकारी छवि रंजन कथित अवैध भूमि की बिक्री से जुड़ी धनशोधन जांच में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष शुक्रवार को पेश नहीं हुए.

 (फाइल फोटो)

Ranchi: झारखंड के आईएएस अधिकारी छवि रंजन कथित अवैध भूमि की बिक्री से जुड़ी धनशोधन जांच में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष शुक्रवार को पेश नहीं हुए. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ईडी ने नया समन जारी करते हुए उन्हें मामले में पूछताछ के लिये 24 अप्रैल को पेश होने के लिये कहा है. 

 

21 अप्रैल को होना था पेश

इससे पहले ईडी ने उन्हें 21 अप्रैल को शाम चार बजे तक उसके रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पेश होने के लिए कहा था. रंजन के वकील ने कहा कि वह शनिवार शाम को राज्य की राजधानी लौट आएंगे और उन्हें नई तारीख का समन दिया जाए. रंजन 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. सूत्रों ने कहा कि रंजन को एक नया समन जारी किया गया है और अब 24 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि उनका बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दर्ज किया जाएगा. 

छवि रंजन के वकील ने कही थी ये बात

रंजन के वकील अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने कहा, 'चूंकि वह शहर से बाहर हैं और शनिवार शाम को लौटेंगे, इसलिए हमने अगले सप्ताह कोई और तारीख देने का अनुरोध किया है और ईडी को आश्वासन दिया है कि वह पूछताछ के लिए पेश होंगे तथा मामले की जांच कर रही एजेंसी को पूरा सहयोग देंगे.' 

जानें क्या है पूरा मामला

ईडी ने 13 अप्रैल को आईएएस अधिकारी से संक्षिप्त पूछताछ की थी, जब इस मामले में झारखंड, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में उनके तथा अन्य लोगों के परिसरों पर छापे मारे गए थे. ईडी के सूत्रों ने कहा था कि कोलकाता में स्थित पश्चिम बंगाल सरकार के एक सहायक रजिस्ट्रार, बीमा को भी दो मई को गवाही देने के लिए कहा गया है. एजेंसी ने इन छापेमारी के बाद झारखंड सरकार के एक अधिकारी समेत कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया था. छापेमारी की कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई और एजेंसी कथित रूप से रक्षा भूमि सहित अन्य जमीन को हड़पने के दर्जन भर से अधिक मामलों की जांच कर रही है. आरोप है कि इन जमीन सौदों के तहत भू ‘माफिया’, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने कथित तौर पर ‘साठगांठ’ की और 1932 और उसके बाद की अवधि में जमीन के जाली कागजात और दस्तावेज बनाए.

(इनपुट भाषा के साथ)

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