बाल मजदूरी के भंवर से निकलकर यूनाइटेड नेशन पहुंची झारखंड की काजल, जानिए पूरी कहानी
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1368949

बाल मजदूरी के भंवर से निकलकर यूनाइटेड नेशन पहुंची झारखंड की काजल, जानिए पूरी कहानी

न्यूयॉर्क में हुए सम्मेलन में काजल ने भारत में बाल मजदूरों की स्थिति को सबके सामने रखा. बाल मजदूरी को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों पर भी काजल ने अपने विचार रखे.

बाल मजदूरी के भंवर से निकलकर काजल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई.

कोडरमा: Child Labour: झारखंड के कोडरमा की काजल कभी खुद बाल मजदूरी करती थी, लेकिन उसने अपनी तकलीफ को तकदीर नहीं बनने दिया. बाल मजदूरी के भंवर से निकलकर काजल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. 

UN में किया भारत का प्रतिनिधित्व
21 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की ओर से बच्चों के हक और अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत की रहने वाली काजल ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. जहां काजल ने दुनिया भर के बड़े नेताओं के सामने बाल मजदूरों (Child Labour) के दर्द को खुलकर बयां किया.

न्यूयॉर्क में हुए सम्मेलन
न्यूयॉर्क में हुए सम्मेलन में काजल ने भारत में बाल मजदूरों की स्थिति को सबके सामने रखा. बाल मजदूरी को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों पर भी काजल ने अपने विचार रखें. इस मौके पर काजल ने कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात भी की.

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन ने की मदद
दरअसल, दुनिया भर में 160 मिलियन से ज्यादा बच्चे बाल श्रम करते हैं. सबसे कम विकसित देशों में हर चार बच्चों में से एक बच्चा बाल मजदूर है. बात भारत की करें तो जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का दूसरा बड़ा देश हैं. एक सर्वे के अनुसार, भारत में 5 से 14 साल के बच्चों की कुल संख्या 25.96 करोड़ है. जिनमें से 1.01 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक है. ऐसे में बचपन को मजदूरी के दलदल से बचाने के लिए देश में कई संस्थाएं काम कर रही है. इन्हीं में से एक संस्था है कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन. 

3 दर्जन बाल मजदूरों को रिहा करवाया
कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन (Kailash Satyarthi Foundation) की कोशिशों से ही काजल बाल पंचायत की सदस्य बनी और बाद में मुखिया.
करीब 6 वर्षों में कार्य करते हुए काजल ने करीब तीन दर्जन बाल मजदूरों को रिहा करवाया. कई बाल विवाह भी रुकवाए. 

दरअसल 2016 से पहले काजल खुद बाल मजदूर हुआ करती थी. माइका खदानों में अपने परिवार के साथ करती थी. सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़ने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई.

काजल का हर कोई कायल
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोविंद खनाल के मुताबिक, जिस तरह से वैश्विक मंच पर वैश्विक नेताओं के सामने काजल ने बाल मजदूरी और बाल शोषण के खिलाफ अपनी बातें रखी हैं. उससे जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल शोषण और बाल मजदूरी को रोकने के लिए उपाय शुरू किए जाएंगे

बेटी की उपलब्धि से माता-पिता खुश
आज काजल की उपलब्धि पर उसके माता- पिता भी गौरवांन्वित है. अमेरिका से वापस आने के बाद जिले में जगह-जगह उसका स्वागत और अभिनंदन किया जा रहा है. काजल की उपलब्धि झारखंड ही नहीं बल्कि देश के हर बाल श्रमिक के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.

(इनपुट-गजेंद्र)

Trending news