झारखंड की इन बेटियों के हौसलों को मिली उड़ान, अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर वापस लौटी खिलाड़ी
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झारखंड की इन बेटियों के हौसलों को मिली उड़ान, अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर वापस लौटी खिलाड़ी

खिलाड़ी जूही कुमारी ने कहा कि मैंने सपना भी नहीं देखा था कि मैं कभी अपने सुदूर गांव से निकलकर विदेश का दौरा करूंगी और ना ही फ्लाइट बैठ पाऊंगी. मगर इस सपने को पूरा होता देख मुझ में और कॉन्फिडेंस बढ़ गया और विदेश में जाकर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला.

झारखंड की इन बेटियों के हौसलों को मिली उड़ान, अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर वापस लौटी खिलाड़ी

रांचीः कहते हैं जब हौसलों में पंख लग जाये, तो मुकाम तक पहुंचना आसान हो जाता है. कुछ ऐसा ही किया है झारखंड की पांच बेटियों ने . बता दें कि 300 लड़कियों में इन पांचों का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था. अप्रैल में ये अपने गांव से निकल कर सीधे रांची से हवाई जहाज में बैठकर दिल्ली और उसके बाद 19 घंटे की हवाई यात्रा करके अमेरिका की धरती पर कदम रखा. इसमें खूंटी की पुडी सारू, गुमला की प्रियंका, सिमडेगा की पूर्णिमा नीति , तोरपा की जूही कुमारी और सिमडेगा की हरनिता टोप्पो शामिल हैं. अमेरिका से हॉकी की ट्रेनिंग लेकर तीन सप्ताह बाद पांचों खिलाड़ी अपने देश लौटी है.

विदेश जाने का सपना हुआ पूरा
खिलाड़ी जूही कुमारी ने कहा कि मैंने सपना भी नहीं देखा था कि मैं कभी अपने सुदूर गांव से निकलकर विदेश का दौरा करूंगी और ना ही फ्लाइट बैठ पाऊंगी. मगर इस सपने को पूरा होता देख मुझ में और कॉन्फिडेंस बढ़ गया और विदेश में जाकर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. अमेरिका में लोगों ने झारखंड के सुदूर गांव के लोगों का काफी सम्मान किया और वहां हॉकी खेल के साथ-साथ कई और सीख मिली. वहां जाकर हमें यह समझ में आया कि अपने लक्ष्य को कभी छोड़ना नहीं चाहिए जो लक्ष्य है उसे बखूबी निभाते हुए पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए. हमें हॉकी खेल के साथ-साथ इंग्लिश स्पीकिंग भी सिखाई जा रही थी, अमेरिका से सीख कर आए सभी बातों को अपने गांव में लड़की और बच्चों को सिखाने का प्रयास करेंगे. आज हमें अपने आप पर गर्व हो रहा है कि झारखंड की हर बच्चे में जो हुनर है उसे निकाला जाए तो झारखंड के बच्चे बहुत नाम रौशन कर सकते हैं

विदेश में अपने की तरह मिला प्यार
सिमडेगा के खिलाड़ी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि खेत में हॉकी खेलते-खेलते में अमेरिका के ग्राउंड में वहां के खिलाड़ियों के साथ हॉकी खेल पाऊंगी. अमेरिका में बहुत कुछ सीखने को मिला मगर सबसे बड़ी बात यह मिलेगी वहां अनजाने लोग भी एक दूसरे से अपनों की तरह हाय हेलो एक दूसरे से मिलते हैं. वहां का एक मूल मंत्र है 'एनीटाइम स्माइल'. वहां किस तरह खिलाड़ी आंख से आंख मिलाकर बात कर लिया करते हैं उसकी भी जानकारी हमें मिली. मैं वहां जो भी सीख कर आई हूं अपने गांव के दोस्तों को भी सिखाऊंगी.

साधन सुविधा मिले तो तैयार होंगे कई खिलाड़ी
गुमला की खिलाड़ी प्रियंका कुमारी ने कहा कि अमेरिका में डिस्प्रिन सीखे और इंग्लिश स्पीकिंग के अलावा काफी कुछ सीखने को मिला. एक गरीब गांव की लड़की अमेरिका में जाकर खेलने को मिला यह मेरे लिए सौभाग्य है, खिलाड़ियों के लिए बड़े-बड़े ग्राउंड साफ-सफाई समेत अन्य सुविधाएं मिलती है. अगर यहां भी गांव-गांव में ग्राउंड और खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं मिले तो झारखंड के गांव में भी कई खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं .सरकार के द्वारा मदद मिले तो यह भी निखर कर आगे बढ़ेंगे. साथ ही कहा कि इस सपने को पूरा और करने के लिए हम और मेहनत करेंगे और इसे अपने गांव के हर बच्चों तक पहुंचाएंगे.

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