खंटूी में 108 एम्बुलेंस चालकों को नहीं मिला रहा मानदेय, समस्या से जूझ रहे चालक
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खंटूी में 108 एम्बुलेंस चालकों को नहीं मिला रहा मानदेय, समस्या से जूझ रहे चालक

एम्बुलेंस चालक राजेश महतो ने बताया कि कोविड काल की विकट परिस्थिति में भी जीवन को दांव पर लगाकर पूरे दिन लगन से काम किए. छह माह से मानदेय नहीं मिलने से मुंह का निवाला भी नहीं जुट रहा है. 

खंटूी में 108 एम्बुलेंस चालकों को नहीं मिला रहा मानदेय, समस्या से जूझ रहे चालक

खूंटी : खूंटी के सदर अस्पताल के अन्तर्गत विभिन्न अस्पतालों में संचालित 108 एम्बुलेंस चालकों को मानदेय पैसा नहीं मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले में जिकिता फाऊंडेशन द्वारा 108 एम्बुलेंस संचालन का काम सरकार से एमओयू के द्वारा लिया गया है. जिसमें कार्यरत एम्बुलेंस चालकों को मात्र 13 हजार रुपए लगभग मिलते हैं.

मेहनत के अनुसार नहीं मिल पा रहे है रुपये
एम्बुलेंस चालक राजेश महतो ने बताया कि कोविड काल की विकट परिस्थिति में भी जीवन को दांव पर लगाकर पूरे दिन लगन से काम किए. छह माह से मानदेय नहीं मिलने से मुंह का निवाला भी नहीं जुट रहा है. रेफरल अस्पताल के एम्बुलेंस चालक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि हर समय एम्बुलेंस सेवा में तत्पर रहते हैं, लेकिन इधर छह माह से मानदेय नही मिलने पर घर चलाना मुश्किल हो गया है. चेंडेया हपदगड़ा ने बताया कि विगत आठ माह से वेतन नही मिला है और प्रतिदिन 8 घंटा ड्यूटी देते हैं. पर मानदेय नहीं मिलने से दैनिक जीवन चरमरा गयी है. सिविल सर्जन डॉ. अजीत खलखो ने बताया कि ये 108 एम्बुलेंस का मानदेय भुगतान एजेंसी ही करती है. जो भी मामला है चालकों को रखनेवाली एजेंसी ही भुगतान करेगी.

एम्बुलेंस चालको को छह महीने से नहीं मिला मानदेय
बता दें कि खंटूी के अस्पतालों में कई एम्बुलेंस चालक है जिन्हें छह माह से मानदेय नहीं मिला है. समय पर मानदेय नहीं मिलने के कारण एम्बुलेंस चालकों के सामने विकट संकट खड़ा  होगा है. चालक परिस्थिति में भी वाहन चलाते हैं, लेकिन विगत छह माह से मानदेय नहीं मिलने पर काफी समस्या हो गयी है. इनकी ओर से जब मानदेय मांग की जाती है तो केवल सांत्वना मिलती है.

कोरोना काल में दिन रात किया काम
बता दें कि कोरोना संकट में जब पूरा देश अपने परिवार के सदस्यों के साथ घरों में सुरक्षित था, तब एम्बुलेंस चालक ही अपनी जान की परवाह करें बिना लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे थे. सरकार को इन लोगों का मानदेय देना चाहिए.

इनपुट- ब्रजेश कुमार

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