Jharkhand News: चार साल बाद छुटा बंधुआ मजदूर पतरस, काम की तलाश में गया था गोवा
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Jharkhand News: चार साल बाद छुटा बंधुआ मजदूर पतरस, काम की तलाश में गया था गोवा

साल 2018 में काम की तलाश में गोवा गया हुआ था. उसके बाद माडगांव स्टेशन के निकट 'दा वुड रेस्टोरेंट' में मजदूरी करने लगा. लेकिन वहां उसे बंधुआ मजदूर बना लिया गया है.

(फाइल फोटो)

Khunti: झारखंड के खूंटी के सुदूरवर्ती क्षेत्र रनिया प्रखण्ड के विगत चार वर्षों से अपनों से दूर गोवा में बंधुआ मजदूर रूप में पतरस तोपनो अपने घर खूंटी वापस आ गया है. विगत चार वर्षों से वो अपनों से दूर बिना पैसे के काम कर रहा था, जोकि गरीबी और काम के अभाव से काम की तलाश में 2018 में गोवा गया हुआ था. उसके बाद माडगांव स्टेशन के निकट 'दा वुड रेस्टोरेंट' में मजदूरी करने लगा. लेकिन वहां उसे बंधुआ मजदूर बना लिया गया है
 
बना लिया गया बंधुआ मजदूर

इस दौरान पतरस तोपनो को ये नहीं पता था कि उसे ना पैसे दिए जाएंगे और ना ही उसे वापस घर आने दिया जाएगा. पीड़ित इस दौरान अपने घरवालों से बात भी नहीं कर पाता था. पीड़ित के घरवालों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसे बंधुआ मजदूर बना लिया गया है. 

पतरस 2018 में काम करने के लिए गोवा के माडगांव रेलवे स्टेशन के समीप “दा वुड रेस्टोरेंट” में जाने लगा था. इस दौरान ना उसे घर जाने दिया जाता था और ना ही उसे पैसे दिए जाते थे. जिस वजह से उसके घरवाले काफी ज्यादा परेशान थे. हालांकि इसी बीच पतरस तोपनो के पिता- लुकास तोपनो एवं बहन सीमा समद ने को उसकी जानकारी हुई, जिसके बाद उन्होंने उसे घर वापस लाने का आवेदन दिया था. जिसके बाद श्रम विभाग के सहयोग से ही पतरस वापस आ पाया. 

हफ्ते में मिलते थे 500 रुपये
वापस आने के बाद पीड़ित ने बताया कि गोवा माडगांव के समीप “दा वुड रेस्टोरेंट” में उससे बंधुआ मजदूर के रूप में काम कराया जाता था. अन्य लोगों को हफ्ते में 500 रुपये दिए जाते थे लेकिन उसे एक भी रुपये नहीं दिए जाते थे. रेस्टोरेंट मलिक उससे मारपीट भी करता था. 

उसने आगे बताया कि बीते चार सालों में उसे महज एक लाख रुपए ही मिले हैं. जिसमे से अभी तक लगभग 2,61000रू. बकाया रह गया है.

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