हेसादा पंचायत में सबसे पहले हम पहुंचे गांव में बहिष्कृत परिवार छोटका मुंडा के यहां इस पूरे परिवार को गांव में बहिष्कृत किया गया है. छोटका मुंडा उनकी पत्नी, बेटा मदन लाल मुंडा और उनकी बहू को गांव के लोगों ने लगभग 8 से 9 महीने पहले डायन बिसाही के आरोप में बहिष्कृत कर दिया था.
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रांचीः रांची से महज 50 से 60 किलोमीटर दूर बुंडू के हुमटा गांव के हेसादा पंचायत में एक साथ चार परिवार लगभग पिछले 8 से 9 महीने से सामाजिक तौर पर बहिष्कृत किए जाने का दंश झेलते आ रहे हैं. इन परिवारों पर डायन बिसाही का आरोप लगाया गया है और पूरे गांव ने सामाजिक तौर पर बहिष्कार का एलान कर दिया. हालांकि लगभग 9 महीने बाद किसी तरह मामला बुंडू थाने तक पहुंचा, प्रशासन हरकत में आई फिर इस मामले में प्रशासन की पहल शुरू हुई. जिन चार परिवार को गांव ने बहिष्कृत किया वो परिवार अब भी डरे हुए हैं, पर प्रशासन लगातार भरोसा दिला रहा है.
गांव वालों को भी बातचीत से मना किया
हेसादा पंचायत में सबसे पहले हम पहुंचे गांव में बहिष्कृत परिवार छोटका मुंडा के यहां इस पूरे परिवार को गांव में बहिष्कृत किया गया है. छोटका मुंडा उनकी पत्नी गुरुवार देवी बेटा मदन लाल मुंडा और उनकी बहू को गांव के लोगों ने लगभग 8 से 9 महीने पहले डायन बिसाही के आरोप में बहिष्कृत कर दिया था. इस परिवार ने गांव में जिनकी जमीन खेती के लिए ली थी, बहिष्कार के बाद से उन लोगों ने अपनी जमीन तक वापस ले ली, बहिष्कृत किए गए परिवार को गांव में बिजली जलाने तक की मनाही की गई. गांव में बैठक के बाद चारों परिवारों को बहिष्कृत कर दिया गया. इस परिवार के आस पास रहने वाले लोग तक इन परिवार से बात नहीं करते हैं. अगल बगल के लोग ये बताते हैं बात करने से गांव में मना किया गया है.
बच्चों के साथ भी ज्यादती
गांव में ही श्रीधर मुंडा और उनकी पत्नी का भी गांव के लोगों ने बहिष्कार कर दिया था. गांव के किसी भी व्यक्ति को इस परिवार से भी बात करने की मनाही थी. इन पर भी वही डायन-बिसाही का आरोप लगाया गया. गांव में इन्हें न कोई काम दिया जाता न ही कोई बात तक करता था. इस परिवार से बात करने वाले को 10 हजार आर्थिक दंड दिया जाने के एलान किया गया साथ ही पिटाई भी करने का एलान कर दिया गया . इनके बच्चों को भी तब दुकान से कुछ भी देने से मना कर दिया गया.
8 महीने पहले की घटना
वहीं गांव के लोग और वार्ड पार्षद भी बताते हैं, अब से कुछ महीने पहले लगभग 8 से 9 महीने पहले गांव में एक घटना घटी थी, उसी घटना के बाद से लोग इन परिवारों पर डायन बिसाही का आरोप लगाने लगे फिर गांव में बैठक हुई और बहिष्कार कर दिया गया. पानी लेने तक से मना कर दिया गया था , किसी से बात करने पर भी रोक लगा दी गई. गांव के ग्राम सभा के अध्यक्ष लोधा मुंडा बताते हैं , भूत प्रेत का मामला आया था, उसी से ये बात शुरु हुई थी. गांव में बैठक हुई जिसमें कहा गया गांव का कोई आदमी इस परिवार से बात नहीं करेगा. गांव का मामला था. गांव के वार्ड पार्षद ठाकुरा मुंडा बताते हैं हम डायन को नहीं मानते हैं लेकिन गांव के लोगों के दबाव में गांव के फैसले में हम को भी साथ होना पड़ा, गांव से बैठक में ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया था गांव का हम पर भी उस समय दबाव था.
आपसी विवाद को डायन-बिसाही बताया गया
बुंडू थाना के एएसआई सूरज सिंह बताते हैं , गांव में चार आदमी का बहिष्कार हुआ था, पर मुख्य मुद्दा जंगल की लकड़ी से जुड़ा हुआ था, लेकिन इसे डायन बिसाही का रंग देने का काम किया गया था. ग्रामीणों को समझाया जा रहा है, कोशिश है कि लोग आपस में मिल कर रहें. बुंडू थाना प्रभारी पंकज भूषण बताते हैं हेसादा गांव में पेड़ कटाई से जुड़ा विवाद था पर इसको आपस में डायन बिसाही से जुड़ा रंग देने की कोशिश की गई , आपसी विद्वेष को लेकर डायन बिसाही का आरोप लगाया गया है. गांव में डायन बिसाही का मामला बनाने का प्रयास किया गया था पर ऐसी बात नहीं है.