मधुबनी सीट पर आरजेडी नेता बोले- गठबंधन धर्म के तहत कांग्रेस करें सीटों की मांग
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मधुबनी सीट पर आरजेडी नेता बोले- गठबंधन धर्म के तहत कांग्रेस करें सीटों की मांग

आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकि ने कांग्रेस को गठबंधन धर्म का पालन करने को कहा है.

अब्दुल बारी सिद्दीकि ने मधुबनी सीट को लेकर बयान दिया है. (फाइल फोटो)

पटनाः मधुबनी सीट को लेकर महागठबंधन में टेंशन बढ़ चुका है. कांग्रेस नेताओं की ओर से मधुबनी सीट पर दावेदारी ने आरजेडी खेमें में हलचल बढ़ा दी है. वहीं, मधुबनी सीट से प्रबल दावेदार माने जानेवाले आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने यह कह कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं कि कांग्रेस ऐसी सीटों की मांग करें, जिससे गठबंधन धर्म का निर्वहन हो सके.

महागठबंधन में भले ही सीटों के नंबर का बंटवारा हो जाए. लेकिन कौन दल किस सीट पर चुनाव लड़ेगा यह फैसला करना बेहद चुनौती भरा होने वाला है. क्योंकि, एक-एक सीट पर महागठबंधन के कई घटक अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. ऐसी ही एक सीट मधुबनी है. जहां से कांग्रेस नेताओं ने अपनी दावेदारी ठोक दी है. कांग्रेस विधायक भावना झा ने मधुबनी सीट पार्टी के वरिष्ठ नेता शकील अहमद के लिए मांग लिया है. जबकि मधुबनी सीट से आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनाव लडते रहे हैं.

अब्दुल बारी सिद्दीकी से जब कांग्रेस विधायक की ओर से की गई डिमांड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफतौर पर कहा कि सहयोगी दल को ऐसी सीटें मांगनी चाहिए जिससे गठबंधन धर्म का निर्वहन हो सके. सिद्दीकि ने कहा कि वो अपनी पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे. पार्टी जहां से चाहेगी वो वहां से चुनाव लडेंगे. जहां तक कांग्रेस नेताओं की ओर से डिमांड की बात है तो ये लगभग तय हो चुका है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. बस औपचारिक घोषणा होनी बांकी रह गयी है.

वहीं, मधुबनी सीट पर कांग्रेस विधायक की ओर से की गयी डिमांड को कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने निजी राय बताया है. मदन मोहन झा ने कहा है कि यह अभी तक तय नहीं हुआ है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. महागठबंधन की ओर से सीटों की संख्या की घोषणा रविवार को की जा रही है. लेकिन कौन दल किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा इसकी घोषणा बाद में की जाएगी.

महागठबंधन में सीटों का पेंच काफी उलझी हुई है. मधुबनी इसका उदाहरण मात्र है. लगभग एक दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां पर कई घटक दल अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. ऐसे में चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा क्षेत्र का निर्धारण करना महागठबंधन के घटक दलों के लिए आसान नहीं.