कांग्रेस की 11 सीटों को लेकर शिवानंद तिवारी बोले- जनाधार का ख्याल रख कर करें बात
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कांग्रेस की 11 सीटों को लेकर शिवानंद तिवारी बोले- जनाधार का ख्याल रख कर करें बात

आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस के 11 सीट के दावेदारी पर सवाल खड़ा किया है.

शिवानंद तिवारी ने मांझी के बयान को सही ठहराया है.

पटनाः महागठबंधन में कांग्रेस अपने ही सहयोगियों के हाथों घिरती नजर आ रही है. मांझी के बाद अब आरजेडी ने भी कांग्रेस की हैसियत पर सवाल उठा दिये हैं. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आखिर कांग्रेस किस आधार पर 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है. उन्हें जनाधार का ख्याल रखकर बात करना चाहिए. वहीं, कांग्रेस ने अपनी हैसियत का एहसास कराते हुए देश पर 60 सालों तक शासन चलाने का हवाला दे डाला है.

ज्यादा सीट पाने को लेकर महागठबंधन में कोहराम मचा हुआ है. अपना सीट बढाने के लिए महागठबंधन के घटक एक दूसरे की हैसियत को कम करने में लगे हैं. शनिवार को जीतन राम मांझी ने कांग्रेस के 11 सीटों पर चुनाव लडने की घोषणा पर सवाल खड़े किये. वहीं रविवार को आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी कांग्रेस के 11 सीटों पर चुनाव लडने की घोषणा पर सवाल खडा कर दिया. 

शिवानंद तिवारी ने कहा है कि कांग्रेस आखिर 11 सीटों पर चुनाव क्यों और किस आधार पर लडेगी. कांग्रेस को अपनी सीटें कम करनी चाहिए. इधर शिवानंद तिवारी ने दरभंगा सीट पर कांग्रेस के कीर्ति झा आजाद की दावेदारी पर भी सवाल खडे किये हैं. शिवानंद तिवारी ने कहा है कि दरभंगा सीट मुकेश सहनी को मिलनी चाहिए. मुकेश सहनी पूरे बिहार में अपने समाज का वोट ट्रान्सफर करा सकते हैं. जबकि कीर्ति झा आजाद राष्ट्रीय चेहरा हैं वो पूरे देश में कहीं से भी चुनाव लड सकते हैं. खुद कीर्ती आजाद की पत्नी दिल्ली से विधायक भी रही हैं. ऐसे में उनके लिए दरभंगा को छोड कई दूसरे विकल्प भी हैं.

इधर शिवानंद तिवारी और मांझी के बयान पर कांग्रेस के तेवर भी तल्ख हो गये हैं. पार्टी के विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि कांग्रेस की हैसियत 11 सीट से कहीं ज्यादा है. शिवानंद तिवारी क्यो बोलते हैं इससे कोई फर्क नहीं पडता. आरजेडी से लालू और तेजस्वी के बयान की ही एहमियत है. वहीं पार्टी के प्रवक्ता हरखू झा ने भी कांग्रेस की हैसियत पर सवाल उठानेवालों को जवाब दिया है. हरखू झा ने कहा है कि कांग्रेस की हैसियत देश विदेशों में जगजाहिर है. कांग्रेस ने अपने प्रभाव से 60 सालों तक शासन किया है. 

कुल मिलाकर महागठबंधन की तस्वीर बताने के लिए काफी है कि यहां कोई भी दल खुद को किसी से कम आंकने को तैयार नहीं. खासतौर पर कांग्रेस के लिए मुसीबत ज्यादा नजर आ रही है. क्योंकि अपने ही गठबंधन में उसे सहयोगियों के हाथों फजीहत झेलनी पर रही है.