भरूच: जनजातीय मामलों पर मुखर रहने वाले गुजरात से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा  (Mansukh Vasava) ने मंगलवार को बीजेपी (BJP) छोड़ दी है. नसुख वसावा ने बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा है कि वह संसद के बजट सत्र के बाद लोक सभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे.


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मंत्रिपद से हटाये जाने के बाद से नाराज
अपने त्यागपत्र में नसुख वसावा  (Mansukh Vasava) ने बीजेपी (BJP) छोड़ने का खास कारण नहीं बताया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि 2016 में केंद्रीय मंत्रिपद से हटाये जाने के बाद से ही वह बीजेपी की नीतियों के आलोचक रहे हैं. भरूच से छह बार सांसद रहे वसावा ने गुजरात बीजेपी अध्यक्ष आर सी पाटिल को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं इस्तीफा दे रहा हूं, ताकि मेरी गलतियों के कारण पार्टी की छवि खराब न हो. मैं पार्टी का वफादार कार्यकर्ता रहा हूं, इसलिए कृपया मुझे माफ कर दीजिए.’


'पार्टी से माफी मांगता हूं'
वसावा ने 28 दिसंबर को पाटिल को लिखे पत्र में कहा है कि वह संसद के बजट सत्र के दौरान लोक सभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद भरूच से सांसद के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे. वसावा ने कहा है कि उन्होंने पार्टी का वफादार बने रहने और पार्टी के मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने की पूरी कोशिश की लेकिन वह इंसान हैं और गलतियां उससे हो ही सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं अंतत: एक मनुष्य हूं और मनुष्य गलतियां कर देता है. पार्टी को मेरी गलतियों के कारण नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं और पार्टी से माफी मांगता हूं.’


बदल सकते हैं फैसला?
पत्र में वसावा ने बीजेपी और उसके केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें ‘कई चीजें’ देने के लिए धन्यवाद दिया और पाटिल से पार्टी नेतृत्व को उनके निर्णय से अवगत कराने का आह्वान किया. पाटिल ने कहा कि वसावा एक संवेदनशील व्यक्ति हैं जो अपने लोगों के लिए संघर्ष करते हैं. उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि वह पार्टी छोड़ने की अपनी योजना बदल लेंगे. पाटिल ने कहा, ‘मुझे भेजे अपने पत्र में वसावा ने बस इतना कहा है कि वह बजट सत्र में सांसद के तौर पर इस्तीफा दे देंगे. वह कुछ मुद्दों को लेकर नाखुश हैं और मैंने आज सुबह मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ उन मुद्दों पर चर्चा की.’


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पीएम मोदी को लिखा था पत्र
बता दें, वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पिछले सप्ताह पत्र लिखकर मांग की थी कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए. पाटिल ने कहा, ‘मुख्य मुद्दा पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र का है जिन्हें केंद्र ने भूखंड के कुछ हिस्सों पर घोषित किया है. ऐसा जान पड़ता है कि जिलाधिकारी द्वारा कुछ जमीनों के बारे में कुछ प्रविष्टियां कीं तब से कुछ लेाग इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों को गुमराह कर रहे हैं .’ अतिक्रमण अभियान को लेकर नाराज वसावा ने पिछले साल नौकरशाही पर यह कहते हुए अपनी नाराजगी उतारी थी कि एसी (AC) घरों में रहने वाले इन लोगों को गरीबों का दर्द मालूम नहीं है.

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