BJP के मिशन बंगाल का मंत्र- 'ई बार बांग्ला...पारले सांभला', जानें इसके मायने
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BJP के मिशन बंगाल का मंत्र- 'ई बार बांग्ला...पारले सांभला', जानें इसके मायने

पश्चिम बंगाल में पहली बार सरकार बनाने को आतुर बीजेपी को ममता बनर्जी और टीएमसी आसानी से वाकओवर नहीं देगीं इसलिए उनके तीखे तेवरों का मुकाबला बीजेपी  की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह उसी अंदाज में देंगे. 

पश्चिम बंगाल जीतने के लिए बीजेपी नए नारे के साथ प्रचार को धार दे रही है.....

नई दिल्ली : बिहार में जीत के बाद बीजेपी की पूरी रणनीति अब पश्चिम बंगाल को लेकर बन रही है. प्रचार युद्ध के दौरान हर राज्य की तरह बीजेपी यहां पश्चिम बंगाल में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को मुख्य चेहरे के तौर पर आगे रखेगी. बीजेपी ने बांग्ला भाषियों के मन में जगह बनाने के लिए नई रणनीति के साथ नया नारा आजमाने का फैसला किया है. इसके तहत बीजेपी अपने नए नारे ' ई बार बांग्ला.. पारले सांभला' यानी 'इस बार बंगाल, हो सके तो संभाल' को धार देते हुए ममता सरकार को चुनौती देगी.

  1. मिशन बंगाल में जुटी बीजेपी
  2. 'ई बार बांग्ला.. पारले सांभला'
  3. नई नीति और नारे पर भरोसा

शाह की रणनीति 
अपने संस्थापक सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी के गृह राज्य यानी पश्चिम बंगाल में पहली बार सरकार बनाने को आतुर बीजेपी को ममता बनर्जी और टीएमसी आसानी से वाकओवर नहीं देगीं इसलिए उनके तीखे तेवरों का मुकाबला बीजेपी  की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह उसी अंदाज में देंगे. इसके लिये ये लगभग तय माना जा रहा है कि अमित शाह का बंगाल दौरा हर महीने तो होगा ही. लेकिन जनवरी से उनका अधिकतर समय बंगाल दौरे और बंगाल पर ही रहेगा. हालांकि बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा भी बंगाल का हर महीने दौर करेंगे.

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जहां तक बीजेपी की रणनीति का सवाल है. पार्टी नेतृत्व और खासकर पीएम मोदी और शाह का मानना रहा है कि चुनाव बूथ के जरिये ही जीता जाता है. इसलिये बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं की स्थिति मजबूत की जा रही है. पश्चिम बंगाल में भाजपा  बूथ स्तर पर कार्यकताओं से सुझाव भी ले रही है.

5 जोन में जिम्मेदारी
इसके अलावा बंगाल की 294 विधानसभा सीटों को पार्टी ने 5 जोन में बांटा है. हर सेक्टर को एक राष्ट्रीय पदाधिकारी के जिम्मे सौप दिया गया है. पांच जोन के राष्ट्रीय पदाधिकारी बंगाल के सांसदो, विधायक, जिला अध्यक्ष, पूर्व जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी और बूथ अध्यक्षों से सीधे संपर्क में रहेंगे.

अध्यक्ष की निगरानी
राष्ट्रीय सचिव विनोद सोनकर को राबंगा, सुनील देवधर को हुबली मेदिनी, महासचिव दुष्यंत गौतम को कोलकाता, नबादीप को विनोद तावड़े और उत्तर बंगा की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश सिंह को दी गई है. केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति ये है कि बंगाल की मौजूदा टीम से अलग, अपने लेवल पर बूथ स्तर से भी फीडबैक लिया जाये. ये सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी अपनी शुरुआती रिपोर्ट  20 नवम्बर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौपेंगे.

इन मुद्दों पर फोकस
जहां तक चुनावी मुद्दों की बात है तो बीजेपी की रणनीति ये भी रहेगी कि प्रचार का फोकस विकास, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर रखा जाये. इसमे बंगलादेशी घुसपैठ, कुछ जगहों पर आतंकवादियों की मौजूदगी के साथ ममता बनर्जी की कार्यशैली को भी मुद्दा बनाया जा सकता है. पोस्टर वार में केंद्र सरकार की विकास नीति खासकर प. बंगाल में केंद्र की विकास योजनाओं पर फोकस होगा.

TMC में सेंध!
इसके अलावा टीएमसी के राज्य स्तर के कद्दावर नेताओ को पार्टी में शामिल कराने की भी कोशिश होती रहेगी. जिससे राज्य में एक संदेश जाये कि अगली बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है इसलिये टीएमसी के नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं.

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