सरकार से मिले Free Hand ने पलटी सीमा पर बाजी, Indian Army की कार्रवाई से पीछे हटने को मजबूर हुआ China
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सरकार से मिले Free Hand ने पलटी सीमा पर बाजी, Indian Army की कार्रवाई से पीछे हटने को मजबूर हुआ China

लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने एक इंटरव्यू में बताया कि भारतीय सेना की 29-30 अगस्त की कार्रवाई के बाद चीन को झुकने पर मजबूर होना पड़ा. इसके बाद जब अगले दौर की बातचीत हुई तो भारत का पलड़ा भारी रहा. यह एक तरह से पूरे मामले में टर्निंग पॉइंट रहा.

लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी (फाइल फोटो: Twitter/@NorthernComd_IA)

नई दिल्ली:  भारत और चीन (India-China) के बीच पूर्वी लद्दाख (Ladakh) को लेकर चल रहा विवाद खत्म होता नजर आ रहा है. दोनों पक्षों में हुए समझौते के तहत चीनी सेना (Chinese Army) पीछे हटने लगी है. करीब 9 महीने तक भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने रहीं और इस दौरान कई मौकों पर स्थिति बिगड़ती नजर आई. लेकिन मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा भारतीय सेना (Indian Army) को दिए गए फ्री हैंड ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बाजी को पलटकर रख दिया. 

  1. लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताई पूरी कहानी
  2. 29-30 अगस्त को सेना ने की थी कार्रवाई
  3. समझौते के तहत पीछे हट रही है चीनी सेना

मिले थे खास Order

सेना के नॉर्दर्न कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी (Lt Gen YK Joshi) ने एक इंटरव्यू में बताया है कि आखिर कैसे चीन (China) के तेवर नरम पड़े और वह पीछे हटने को मजबूर हुआ. उन्होंने कहा कि बातचीत से जब मनमाफिक सफलता मिलती नहीं दिखी, तो सेना को ऊपर से खास निर्देश मिले. इन निर्देशों में कुछ ऐसा करने को कहा गया था, जिससे चीन पर दबाव बने. इसके बाद 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर रेजांग ला और रेचिन ला पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा कर लिया और हम फिर से दबदबे के स्थिति में आ गए.  

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India का पलड़ा हुआ भारी

जोशी ने कहा कि हमारी 29-30 अगस्त की कार्रवाई के बाद चीन को झुकने पर मजबूर होना पड़ा. इसके बाद जब अगले दौर की बातचीत हुई तो भारत का पलड़ा भारी रहा. सीएनएन न्यूज 18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताया कि 30 अगस्त को जब भारतीय सैनिकों ने रेजांग ला और रेचिन ला पर कब्जा किया, तब चीनी सेना कैलाश रेंज में आमने-सामने आना चाहती थी. हम एकदम युद्ध की कगार पर ही खड़े थे और वह वक्त हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था.

‘इतनी जल्दी की उम्मीद नहीं थी’

जोशी ने कहा कि चीन के पीछे हटने पर थोड़ा अचंभा, तो होता है क्योंकि इतनी जल्दी इसकी उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि चीन के इतनी जल्दी कदम वापस खींचने की उम्मीद कम नहीं थी, लेकिन भारतीय फौज ने 29-30 अगस्त की रात को LAC पर जो किया था वह टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. जोशी ने बताया कि 10 फरवरी से पैंगोंग त्सो में डिसइंगजमेंट की प्रक्रिया चल रही है, जो दोनों सेनाएं चार स्टेप में पूरी करेंगी. अब तक दोनों पक्ष बख्तर बंद गाड़ियां, टैंक डिसइंगेज कर चुके हैं. उन्होंने कहा तीसरे-चौथे चरण में कैलाश रेंज रेजांग में पैदल सेना के जवान हटेंगे. जोशी ने आगे कहा कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारी एक दूसरे से बात कर रहे हैं.

‘हमने कोई जमीन नहीं छोड़ी’

इस सवाल के जवाब में की क्या भारत ने नॉर्थ बैंक में जमीन छोड़ दी है? लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा, 'इसमें सच्चाई नहीं है. दोनों देश एक समझौते पर सहमत हुए हैं. चीन समझौते के तहत पीछे हट रहा है. समझौते के तहत चीन फिंगर 8 और फिंगर 4 से पीछे जाएगा. उन्होंने कहा कि फिंगर 8 हमारी क्लेम लाइन है और चीनी सेना फिंगर पीछे जा रही है. फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच की स्थिति अप्रैल 2020 के पहले वाली हो जाएगी. यही नहीं, चीन हमारे क्लेम लाइन के पास कोई एक्टिविटी भी नहीं करेगा जो यह हमारे लिए बड़ी सफलता है’.

 

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