Bundelkhand Expressway: हम आपको बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) के शानदार सफर के बारे में बताते हैं, जिसका काम अब लगभग पूरा हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी 16 जुलाई को इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर सकते हैं. ये एक्सप्रेस 296 किलोमीटर लम्बा है, जिसे रिकॉर्ड 28 महीने में तैयार किया गया है. इस एक्सप्रेस वे को बनाने में 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. ये एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से शुरू होकर इटावा में आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा.


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बुंदेलखंड इलाके की बदल देगा तकदीर 


इससे लोग देश की राजधानी दिल्ली तक आसानी से सफर कर सकेंगे. फिलहाल इस एक्सप्रेसवे को फोर लेन का बनाया गया है लेकिन भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा और ये फोर लेन का एक्सप्रेसवे 6 लेन का हो जाएगा. सबसे अहम ये एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बहुत अहम होगा.


इससे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, औरैया और जालौन जैसे जिलों से दिल्ली पहुंचना आसान हो जाएगा. चित्रकूट से दिल्ली तक का सफर तय करने में अभी 12 घंटे से ज्यादा का समय लगता है. लेकिन इस एक्सप्रेस वे के शुरू हो जाने के बाद चित्रकूट से दिल्ली का सफर 7 घंटे में तय हो सकेगा.



तीर्थांटन गतिविधियों में होगी वृद्धि


चित्रकूट एक बड़ा धार्मिक तीर्थस्थल है.. इसलिए इससे इस क्षेत्र में पर्यटन भी बढ़ेगा. इसके अलावा एक्सप्रेसवे के किनारे Defence और Industrial Corridor बनाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को रोज़गार मिलेगा और वो पलायन के लिए मजबूर नहीं होंगे. हालांकि यहां बात सिर्फ़ एक्सप्रेसवे की नहीं है. हमने चित्रकूट और इटावा के बीच विश्वस्तरीय सड़कें तो बना ली लेकिन अब देखना ये है कि इसका लोगों का कितना लाभ मिलता है?..


दरअसल पिछले कुछ समय से हमने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों और किसानों के नाम पर प्रदर्शन करने वाले लोगों का हंगामा देखा है. उनके प्रदर्शन से आम जनता को काफी समस्याएं हुईं क्योंकि उन्होंने सड़कों को अपना प्रदर्शन स्थल बना दिया.


रोड तो बन गए पर अतिक्रमण से कैसे बचें


यानी जिन आम लोगों के लिए सड़कें बनाई जाती हैं.. वो हकीकत में उसका इस्तेमाल कर ही नहीं पाते हैं. विरोध प्रदर्शनों से रास्ता Block नहीं हुआ तो रेहड़ी, पटरी से उसका अतिक्रमण कर लिया जाता है.


अगर ये Highways इन सबसे बच भी गए तो Wrong Side चलने वाले वाहन चालक इस पर अतिक्रमण कर लेते हैं. यानी आज हमें सिर्फ़ World Class Roads नहीं चाहिए बल्कि हमें World Class Citizens भी चाहिए.  ऐसे देशवासी चाहिए जो अपनी जिम्मेदारी समझें और नियमों का पालन करें.


सड़क बनती हैं तो यातायात बढ़ता है और यातायात बढ़ता है तो एक शहर से दूसरे शहर जाना आसान हो जाता है. जब शहरों के फासले इन सड़कों की वजह से कम हो जाते हैं, तब रोजगार, व्यापार और विकास के रास्ते खुलते हैं.


एक सच ये भी है कि कभी इन सड़कों को आन्दोलन के नाम पर घेर लिया जाता है, कभी इन पर अतिक्रमण हो जाता है. अगर इस सबसे ये सड़कें बच भी जाएं तो Wrong Side गाड़ी चलाने वाले लोग विकास को ठेंगा दिखाने से पीछे नहीं हटते.


यमुना एक्सप्रेस वे हर साल 120 मौतें क्यों?


इससे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं. कुछ साल पहले ऐसा ही एक एक्सप्रेसवे दिल्ली को आगरा से जोड़ने के लिए भी बना था, जिसे आप यमुना एक्सप्रेसवे के नाम से जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस एक्सप्रेसवे के साथ हमारे देश के लोगों ने क्या सलूक किया. इसे आप इन आंकड़ों से समझिए..


2018 की एक RTI में पता चला था कि वर्ष 2012 से 2018 के बीच यहां करीब 5 हज़ार सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 718 लोगों की मौत हुई. यानी 165 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे पर हर साल लगभग 120 लोगों की मौत हुई. इसलिए आज बड़ा सवाल यही है कि भारत में World Class Roads तो बन रही हैं. लेकिन भारत के लोग World Class Citizens कब बनेंगे?


(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)