राज्‍य सभा में विपक्ष का हंगामा शर्मनाक, किसानों को गुमराह किया जा रहा: राजनाथ सिंह
Advertisement

राज्‍य सभा में विपक्ष का हंगामा शर्मनाक, किसानों को गुमराह किया जा रहा: राजनाथ सिंह

लोकसभा के बाद, राज्‍यसभा में भी दो कृषि बिलों के पास होने और विपक्ष के सदन में हंगामे के बाद सरकार की तरफ से छह कैबिनेट मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि विपक्ष को जिम्‍मेदारी निभानी चाहिए. 

राज्‍य सभा में विपक्ष का हंगामा शर्मनाक, किसानों को गुमराह किया जा रहा: राजनाथ सिंह

नई दिल्‍ली: लोकसभा के बाद, राज्‍यसभा में भी दो कृषि बिलों के पास होने और विपक्ष के सदन में हंगामे के बाद सरकार की तरफ से छह कैबिनेट मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि विपक्ष को जिम्‍मेदारी निभानी चाहिए. राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्‍यसभा में विपक्ष का हंगामा शर्मनाक था. विपक्ष को जिम्‍मेदारी निभानी चाहिए. आज जो भी हुआ, संसदीय इतिहास में कभी नहीं हुआ. कृषि बिल किसानों के लिए ऐतिहासिक, किसानों को गुमराह किया जा रहा है. 

उन्‍होंने कहा कि हर किसी ने आसन के साथ हुई बदसलूकी को देखा है, सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ डाली, आसन के पास चले गए. मैंने संसद में इस तरह का गलत आचरण कभी नहीं देखा. राज्य सभा के उप सभापति मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं, स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जाती. आम जनता और आम किसानों के बीच गलतफहमी फैला कर जो कुछ किया जा रहा है वो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. ये बिल प्रभावी होने के बाद किसान जहां चाहेगा वहां अपना अनाज बेच सकता है. सरकार MSP नहीं खत्म कर रही है.

विपक्ष का हंगामा
दरअसल राज्य सभा में रविवार को विपक्ष ने उस समय हंगामा किया जब सरकार ने कृषि से संबंधित दो विधेयकों को पारित कराने पर जोर दिया. तृणमूल कांग्रेस सदस्यों के नेतृत्व में कुछ विपक्षी सदस्य आसन के बिल्कुल पास आ गए. हंगामे के कारण बैठक को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया.

तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वाम सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने उस समय हंगामा किया जब उप-सभापति हरिवंश ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की उनकी मांग पर गौर नहीं किया.

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने मांग की कि दोनों विधेयकों पर हुयी चर्चा का जवाब कल के लिए स्थगित कर दिया जाए क्योंकि रविवार को बैठक का निर्धारित समय समाप्त हो गया है.

एक बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू होने पर सदन ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. उस समय भी सदन में विपक्ष का हंगामा जारी था.

किसानों को उपज बिक्री करने की आजादी, बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी: भाजपा
इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने संसद द्वारा कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किये जाने की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि इससे किसान अपनी मर्जी के मालिक होंगे, उन्हें अपनी उपज की बिक्री की आजादी और बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी.

विधेयकों के पारित होने के समय राज्य सभा में हंगामे की स्थिति उत्पन्न करने को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए नड्डा ने उनके व्यवहार को गैर जिम्मेदाराना और लोकतंत्र पर आघात बताया. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्च सदन के सभापति इस पर संज्ञान लेंगे.

भाजपा अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सदन में आसन के समीप आकर कोविड-19 के प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘‘ किसानों को इससे ‘अनुबंध’ कर खेती से ज्यादा आय प्राप्त करने का सुनहरा मौका मिलेगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसान का यह मुक्ति का क्षण है- शोषण से मुक्ति और अपनी उपज का सही दाम मिलने का अधिकार दिन .' जावड़ेकर ने कहा कि आज विपक्षी दलों ने राज्यसभा में तांडव कर उच्च सदन को शर्मसार किया. इस अलोकतांत्रिक कार्यवाही की हम पूरी भर्त्सना करते हैं.

एमएसपी को कानूनी जिम्मेदारी देने से क्यों भाग रही है सरकार: कांग्रेस
कृषि संबंधित विधेयकों को लेकर कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर हमला तेज कर दिया और आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जिम्मेदारी देने से दूर भाग रही है. इन विधेयकों को ‘कृषि विरोधी काला कानून’ करार देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल किया कि कृषि उपज विपणन समिति या किसान बाजार खत्म होने पर एमएसपी कैसे सुनिश्चित किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि एमएसपी की कोई गारंटी क्यों नहीं है? गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ मोदी जी किसानों को पूंजीपतियों का ‘ग़ुलाम' बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा.’’

विधेयकों को राज्यसभा में रखे जाने से पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार व्हिप के जरिए राज्यसभा से ‘तीन काले विधेयक’ पारित करवाएगी.

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं है कि कैसे 15.5 करोड़ किसान एमएसपी हासिल करेंगे? मंडी के बाद एमएसपी की जिम्मेदारी कौन लेगा? ’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार एमएसपी को कानूनी जिम्मेदारी देने से क्यों भाग रही है. मंडी के बाहर एमएसपी की जिम्मेदारी कौन लेगा.’’

इन विधेयकों का किसान संगठन एवं सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर से भी कड़ा विरोध किया जा रहा है. शिरोमणि अकाली दल की नेता एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने पिछले सप्ताह इस मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था.

VIDEO

 

Trending news