RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताया, किसने चलाई वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम
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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताया, किसने चलाई वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा, हमारा विचार सभी के लिये शुभेच्छा और किसी का तुष्टिकारण नहीं है. कोई अल्पसंख्यक नहीं बल्कि सभी के अधिकार एवं कर्तव्य समान हैं. 

आरएसएस चीफ मोहन भागवत (फोटो साभार: ANI)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव होने का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही उन्हें बदनाम करने की मुहिम चली है और अब अगला टारगेट स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद हो सकते हैं. मोहन भागवत ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘वीर सावरकर हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ का विमोचन करते हुए यह बात कही. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए.

  1. 'वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव'
  2. एक कार्यक्रम में RSS चीफ भागवत का बयान
  3. वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे 

कुछ लोगों को 'दुकान' बंद होने का था डर

सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा, ‘भारत में आज के समय में सावरकर के बारे में वास्तव में सही जानकारी का अभाव है. यह एक समस्या है. सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई. यह स्वतंत्रता के बाद खूब चली.’ उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि सावरकर सामने थे. भारत को जोड़ने से जिनकी दुकान बंद हो जायेगी, उन्हें यह अच्छा नहीं लगता था. उन्होंने कहा कि अब इसके बाद अगला टारगेट स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद को बदनाम करने का हो सकता है क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे.

हिन्दू और मुसलमान एक साथ थे

मोहन भागवत ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हिन्दू और मुसलमान एक साथ थे लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बांटने का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग-अलग है लेकिन पूर्वज एक हैं. हम अपनी मातृभूमि तो नहीं बदल सकते. उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वालों को वहां प्रतिष्ठा नहीं मिली. सरसंघचालक ने कहा कि हमारी विरासत एक है जिसके कारण ही हम सभी मिलकर रहते हैं, वहीं हिन्दू है और हिंदुत्व एक ही है जो सनातन है.

विविध होना सृष्टि का श्रृंगार

भागवत ने कहा कि वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे और तर्क व प्रत्यक्ष प्रमाण के आधार पर बात करते थे. भागवत ने कहा, ‘प्रजातंत्र में राजनीतिक विचारधारा के अनेक प्रवाह होते हैं, ऐसे में मतभिन्नता भी स्वाभाविक है लेकिन अलग अलग मत होने के बाद भी एकसाथ चलें, यह महत्वपूर्ण है. विविध होना सृष्टि का श्रृंगार है। यह हमारी राष्ट्रीयता का मूल तत्व है.’ सरसंघचालक ने कहा कि जिनको यह पता नहीं है, ऐसे छोटी बुद्धि वाले ही सावरकर को बदनाम करने का प्रयास करते हैं. 

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