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नई दिल्ली: भारत की अपने कोल फ्लीट को 64 गीगावाट तक करने की योजना है और एक नये अध्ययन में इस लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया है. स्टडी के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में कोयले के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की वजह से अगले दशक में समय से पहले होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग दोगुना होकर 5,280 पर पहुंच जायेगा.
जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को उठाने वाले दुनिया के मेगासिटीज के एक नेटवर्क ‘सी40 सिटीज’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि समय से पहले होने वाली मौतों के अलावा, मौजूदा विस्तार से अगले दशक में समय से पहले प्रसव के 8,360 सामने आ सकते है और अस्थमा के 10,310 इमरजेंसी केस का कारण बन सकते हैं.
भारत की कोयला आधारित बिजली का बारह प्रतिशत राष्ट्रीय राजधानी के 500 किलोमीटर के भीतर पैदा होता है. अध्ययन में कहा गया है कि अगर कोयला क्षमता का वर्तमान प्रस्तावित विस्तार होता है तो दिल्ली में कोल पावर प्लांट से वायु प्रदूषण के जोखिम के कारण लगभग 55 लाख बीमार दिन हो सकते हैं.
आने वाले दशक में दिल्ली में कोयला प्रदूषण से जुड़ी आर्थिक स्वास्थ्य लागत 8.4 अरब डॉलर आंकी गई है. एक अरब 100 करोड़ के बराबर होता है. इसमें कहा गया है, ‘दिल्ली में वायु प्रदूषण (PM 2.5 Annual Concentration) विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से नौ गुना अधिक है. साथ ही ये नेशनल गाइड लाइन से दोगुने से अधिक है.
स्टडी में कहा गया है कि मौजूदा राष्ट्रीय योजनाएं 2020 और 2030 के बीच कोयले के फ्लीट में 28 प्रतिशत का विस्तार करेंगी और यह इसे 20 प्रतिशत तक कम नहीं करेंगी, जिससे भारत के जलवायु और वायु गुणवत्ता लक्ष्य प्रभावित होते हुए दिल्ली में शहरी निवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण को खतरा होगा.’
सी40 में रिसर्च हेड डॉ राहेल हक्सले ने कहा, ‘मौजूदा राष्ट्रीय योजनाएं शहर में कोल पावर प्लांट के वायु प्रदूषण से होने वाली वार्षिक अकाल मौतों की संख्या को लगभग दोगुना कर सकती हैं.’अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे कोल प्लांट को बंद करने से दिल्ली में लोगों की जान बचेगी, लागत में कमी आएगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
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सी40 की दक्षिण और पश्चिम एशिया की क्षेत्रीय निदेशक श्रुति नारायण ने कहा, ‘क्लीन एनर्जी में परिवर्तन न केवल भारतीय शहरों के लिए वायु प्रदूषण को कम करने, उनके निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार और उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी है, जो पेरिस समझौते से जुड़ा हुआ है, बल्कि रोजगार पैदा करने के लिए भी अहम है.’