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नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), एम्स (AIIMS) और नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर का आंकलन किया है. दोनों के बीच में कुछ बड़े फर्क सामने आए हैं. सर्वे Indian Journal of Medical Research में छपा है. यह आंकलन 18961 मरीजों पर किया गया जिसमें से पहली लहर के 12059 मरीज थे और दूसरी लहर के 6903 मरीज हैं.
यह देखा गया कि दूसरी लहर में चपेट में आने वाले लोगों की औसत उम्र पहली लहर के मुकाबले काफी कम थी दूसरी लहर में 48.7 उम्र के लोग चपेट में हैं जबकि पहली लहर में यह आयु लगभग 51 वर्ष थी. हालांकि दोनों ही लहर में 70% मरीज 40 वर्ष की उम्र से ज्यादा के थे दूसरी लहर में पुरुषों की संख्या पहली लहर के मुकाबले थोड़ी सी कम रही. दूसरी लहर में 63.7% पुरुष चपेट में आए जबकि पहली लहर में 65.4% पुरुष कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आए थे.
दूसरी लहर में 49% मरीजों ने सांस की तकलीफ की शिकायत की, जबकि पहली लहर में 43% मरीजों ने यह शिकायत की थी. दूसरी लहर में 13% यानी 1422 मरीजों को ARDS यानि एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम हुआ जबकि पहली लहर में यह संख्या 880 मरीजों की यानी तकरीबन 8% रही. दूसरी लहर में ऑक्सीजन की खपत काफी तेजी से बढ़ी 50% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी जबकि पहली लहर में 42.7% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी. वेंटिलेटर के मामले में भी ऐसा ही रहा. 16% मरीजों को दूसरी लहर में वेंटिलेटर पर जाने की जरूरत पड़ी जबकि पहली लहर में 11% मरीजों को इसकी जरूरत पड़ी थी.
20 से 39 साल के 26.5% यानी बड़ी संख्या में युवा दूसरी लहर में चपेट में आए. पहली लहर में 23.7% लोग इस आयु वर्ग के थे. इसी तरह 40 से 60 वर्ष के बीच के 41.3% मरीज चपेट में आए थे, दूसरी लहर में भी 40% मरीज इस आयु वर्ग से थे. 60 वर्ष की आयु से ज्यादा वाले मरीजों की संख्या दूसरी लहर में 27.8% थी जबकि पहली लहर में 32% यानी पहली लहर में यह संख्या ज्यादा थी. दूसरी लहर में 67.7% युवा चपेट में आए, पहली लहर में 65.4% युवा चपेट में आए थे. इसी तरह महिलाओं की बात की जाए तो दूसरी लहर में 36% महिलाएं और पहली बार के कोरोना वायरस से 34.5% महिलाएं संक्रमित हुई थीं. यानी बहुत ज्यादा फर्क नहीं था.
कोरोना वायरस के मरीजों में सबसे ज्यादा हाई ब्लड प्रेशर के मरीज संक्रमित हुए. दूसरी लहर में 27.6% मरीजों को हाई बीपी था, 5% मरीज डायबिटीज के थे, 4% मरीज दिल की बीमारी के थे. 1% जिन्हें सांस की बीमारी थी और 1% मरीजों को ही अस्थमा जबकि पहली लहर में भी सबसे ज्यादा मरीज हाई ब्लड प्रेशर के ही थे. 34% मरीजों को हाई बीपी था 26.5% मरीजों को डायबिटीज थी. दिल की बीमारी के शिकार 7% मरीजों को पहली लहर में कोरोना हुआ. सांस की बीमारी वाले 1.9% और अस्थमा की बीमारी वाले भी 1.9% मरीज पहली लहर में कोरोना के शिकार हुए थे.
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दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या पहली लहर के मुकाबले 3% ज्यादा थी इसमें कुल मिलाकर 13412 रिकॉर्ड देखे गए थे. हर आयु वर्ग में पहली लहर के मुकाबले ज्यादा मौतें हुई थीं. जबकि 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों की दूसरी लहर में कम मौतें हुईं. कुल मिलाकर पहली लहर में 1058 मरीजों की जान गई जो कुल आंकड़े का 10% है. दूसरी लहर में 403 यानी 13% लोगों की मौत हो गई. अगर उम्र के हिसाब से देखें तो दूसरी लहर में 20 वर्ष से कम उम्र के 6 लोगों की जान गई यानी कुल 4.7% जबकि पहली लहर में 23 लोगों की जान गई प्रतिशत में यह 6.1% था. 20 से 39 आयु वर्ग में दूसरी लहर में 6.5% पहली में 3.5% लोगों की जान गई.
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40 से 60 आयु वर्ग में दूसरी लहर में 12.1% लोगों की जान गई जबकि पहली लहर में यह आंकड़ा 9.2% था. 60 वर्ष से ज्यादा की उम्र वालों में 198 लोग दूसरी लहर में शिकार हुए यानी लगभग 22% जबकि पहली लहर में 568 लोग शिकार हुए यानी 17%. पहली लहर के लिए सितंबर 2020 से फरवरी 2021 तक के वक्त को चुना गया था जबकि दूसरी लहर में फरवरी 2021 से मई 2021 तक का वक्त चुना गया. इसमें कुल मिलाकर 18961 मरीजों को शामिल किया गया. पहली लहर के 12059 मरीज तो दूसरी लहर के 6903 मरीज थे. यह सभी मरीज अस्पताल में भर्ती रहे.
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