DNA with Sudhir Chaudhary: अतिक्रमण पर कार्रवाई अल्पसंख्यक विरोधी कैसे? जहांगीरपुरी में सिर्फ मुसलमानों के अवैध कब्जे हटे?
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DNA with Sudhir Chaudhary: अतिक्रमण पर कार्रवाई अल्पसंख्यक विरोधी कैसे? जहांगीरपुरी में सिर्फ मुसलमानों के अवैध कब्जे हटे?

DNA on Bulldozer Politics: बुलडोजर कार्रवाई देख हर कोई यही कह रहा है कि MCD ने इन लोगों को नोटिस क्यों नहीं दिया. लेकिन सवाल ये है कि क्या इन लोगों ने पब्लिक की जमीन पर कब्जा करने से पहले सरकार या MCD को कोई नोटिस दिया था?

DNA with Sudhir Chaudhary: अतिक्रमण पर कार्रवाई अल्पसंख्यक विरोधी कैसे? जहांगीरपुरी में सिर्फ मुसलमानों के अवैध कब्जे हटे?

DNA with Sudhir Chaudhary: आपको दिल्ली के उन भाग्यशाली और शक्तिशाली लोगों के बारे में जरूर जानना चाहिए जो सुबह सुबह 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं और सुप्रीम कोर्ट सारे काम छोड़ कर तुरंत उनके मामले पर सुनवाई शुरू कर देता है. फिर दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे बुलडोजर पर रोक लगा देता है. ये सारे वो लोग हैं, जिन्होंने जहांगीरपुरी में पब्लिक की जमीन पर अवैध कब्जा करके अपनी दुकानें और मकान बना रखे थे. बुधवार सुबह जब MCD के बुलडोजर वहां पहुंचे तो इन लोगों ने बुलडोजर को रोकने के लिए सड़कों पर बहुत सारी बाधाएं पैदा की और एक बार नहीं सुप्रीम कोर्ट में दो-दो बार इस मामले में सुनवाई हुई. इसे एक खास धर्म से भी जोड़ दिया गया. इस देश में इससे पहले हजारों बार बुलडोजर चले होंगे लेकिन इनमें से कितने लोगों को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने सारा काम छोड़ कर एक ही दिन में राहत दे दी?

MCD की कार्रवाई का कड़ा विरोध

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोपहर सवा एक बजे नगर निगम ने अतिक्रमण के खिलाफ इस कार्रवाई को रोक दिया गया था और तब से लेकर अब तक इस इलाके में तनाव बना हुआ है. Zee News की टीम दिनभर जहांगीरपुरी के इसी इलाके में मौजूद थी और इस दौरान पता चला कि जब दोपहर 2 बजे के आस-पास MCD की टीम और बुलडोजर इस इलाके से वापस लौटे तो यहां रहने वाले लोगों द्वारा इस कार्रवाई का विरोध किया गया और इन लोगों ने शाम के आसपास अपनी गलियों के गेट बंद कर दिए और अब हर गेट पर कुछ लोगों द्वारा पहरा दिया जा रहा है, ताकि वहां कोई अन्दर ना घुस सके.

अवैध संपत्ति पर चला बुलडोजर

हालांकि लोगों के गुस्से और तनाव को देखते हुए पुलिस ने उस सड़क को सील कर दिया है, जहां अवैध कब्जे को नगर निगम द्वारा हटाया गया था. इसके अलावा जिन अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया, उनका मलबा अब भी वहीं पड़ा है और मीडिया को भी अब इस इलाके में जाने से रोक दिया गया है. इससे पहले उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने सुबह साढ़े 10 बजे अतिक्रमण के खिलाफ ये कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें दंगों के किसी आरोपी घर नहीं गिराया गया. बल्कि ये कार्रवाई नगर निगम ने उन लोगों पर की, जिन्होंने पब्लिक की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ था. असल में इस इलाके में नाले की जमीन पर लोगों ने दुकानें और झुग्गियां बनाई हुई थीं. इसके अलावा जिस मस्जिद के बाहर 16 अप्रैल को दंगे हुए थे, उस मस्जिद का गेट भी इस नाले की जमीन पर बना हुआ था, जिसे नगर निगम की टीम ने आज गिरा दिया.

अवैध कब्जा करने वालों को भी नोटिस चाहिए?

सोचिए.. इसमें नगर निगम ने गलत क्या किया. ये जमीन नगर निगम की थी और इन लोगों ने उस पर अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ था. लेकिन जब MCD के अधिकारी इस अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर लेकर पहुंचे तो इन लोगों का कहना था कि इन्हें इस कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया. ये कितना बड़ा मजाक है कि जिन लोगों ने इस जमीन पर कब्जा करने से पहले सरकार और MCD को कोई नोटिस नहीं दिया. वो लोग चाहते हैं कि MCD इस कब्जे को हटाने से पहले उन्हें नोटिस देती. इससे पता चलता है कि हमारे देश में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करना कितना आसान है और उस कब्जे को हटाना कितना मुश्किल है.

कोर्ट खुलते ही सुनवाई शुरू

ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया और सुप्रीम कोर्ट ने कल तक इस मामले में भी किसी भी तरह की कार्रवाई करने से MCD को रोक दिया है. हालांकि ये बात जानकर आपको और हैरानी होगी कि सुप्रीम कोर्ट खुलते ही वहां सबसे पहले यही मामला सुना गया. यानी जैसे ही कोर्ट खुला, भारत के मुख्य न्यायधीश ने सबसे पहले जहांगीरपुरी के इस मामले में सुनवाई की.

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायधीश से ये मांग की कि वो नगर निगम को जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने से रोक दें और इस मांग को अदालत ने तत्काल मान भी लिया और ये कहा कि कोर्ट इस मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश देती है और कल इस केस की फिर से सुनवाई होगी. इससे पहले भी हमारे देश में हजारों बार बुलडोजर से अतिक्रमण हटाया गया है. लेकिन इन मामलों में कभी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने सारे काम छोड़ कर लोगों को तुरंत राहत नहीं दी. इसलिए आप दिल्ली के इन लोगों को भाग्यशाली और शक्तिशाली दोनों मान सकते हैं.

क्या कहता है MCD एक्ट 1957?

बड़ी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस कार्रवाई को रोकने के पीछे ये दलील दी गई कि नगर निगम ने इसके लिए पहले से लोगों को कोई नोटिस नहीं दिया था. जबकि नगर निगम का कहना है कि MCD Act 1957 के तहत उसे अतिक्रमण के ऐसे मामलों में नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं होती. लेकिन इसके बावजूद हर कोई यही कह रहा है कि MCD ने इन लोगों को नोटिस क्यों नहीं दिया. लेकिन हमारा सवाल ये है कि क्या इन लोगों ने पब्लिक की जमीन पर कब्जा करने से पहले सरकार या MCD को कोई नोटिस दिया था.

इस तरह रुकी कार्रवाई

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो किलोमीटर के इलाके में कई दुकानों, उनके छज्जों और दीवारों को गिरा दिया गया. क्योंकि नगर निगम का कहना था कि, उसे तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली थी. जिसके बाद ये मामला दोपहर सवा 12 बजे के आसपास फिर से कोर्ट में उठाया गया और अदालत में कहा गया कि नगर निगम उसके आदेश का पालन नहीं कर रहा है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश की तरफ से चिंता जताई गई और सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को ये कहा गया कि वो तुरंत अदालत के आदेश की जानकारी दिल्ली पुलिस कमिश्नर, नगर निगम और उत्तरी नगर निगम के मेयर को दें और इसके बाद आखिरकार ये कार्रवाई रुक गई.

हालांकि इस दौरान तीन चीजें ऐसी हुईं, जिस पर आपको सबको ध्यान देना चाहिए

पहली- लेफ्ट पार्टी CPM की नेता बृंदा करात आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर खुद जहांगीरपुरी पहुंच गई और उन्होंने अवैध कब्जे पर बुलडोजर चला रहे कर्मचारी को ये आदेश दिखा कर इस कार्रवाई को रोकने की कोशिश की. यानी बृंदा करात ने अतिक्रमण के खिलाफ इस कार्रवाई को रोकने के लिए पूरा जोर लगा दिया और ये भी शायद हमारे देश में पहली बार हुआ है.

दूसरी- जब पुलिस और नगर निगम की टीम इस इलाके में अतिक्रमण को हटाने के लिए पहुंची तो इस इलाके के लोगों ने कबाड़ इकट्ठा करके वहां की सड़कें बन्द कर दी, ताकि नगर निगम के कर्मचारी और बुलडोजर वहां प्रवेश नहीं कर सकें. असल में इस इलाके के बहुत सारे लोग कबाड़ का व्यापार करते हैं और ये कबाड़ या तो सड़क किनारे रखा होता है या वहां जो खुला मैदान है, वहां पर इस कबाड़ को रखा जाता है. लेकिन आज सुबह से ही लोगों ने इस कबाड़ को इकट्ठा करके सड़क पर जमा करना शुरू कर दिया और बुलडोजर को इलाके में घुसने से रोकने की कोशिश की. हालांकि ये लोग इसमें नाकाम रहे.

तीसरी- इस कार्रवाई में धर्म देख कर अवैध कब्जा नहीं हटाया गया. जिन-जिन लोगों ने नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ था, उन सभी पर कार्रवाई की गई. इनमें एक Juice की दुकान भी थी, जिसके मालिक हिन्दू हैं. लेकिन क्योंकि ये दुकान पब्लिक की जमीन पर कब्जा करके बनाई गई थी, इसलिए उस पर भी बुलडोजर चलाया गया. 

हर जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की?

भारत शायद दुनिया का अकेला ऐसा देश होगा, जहां सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के लिए भी प्रशासन जिम्मेदार होता है और जब इसी सरकारी जमीन से अतिक्रमण को हटाया जाता है, तब भी प्रशासन जिम्मेदार होता है. इस सबका कारण है राजनीति. इतने वर्षों में अलग-अलग सरकारों, नगर निगम के अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने वोटबैंक के चक्कर में सरकारी जमीन पर ये अतिक्रमण होने दिया. हमारे देश के नेताओं ने सोचा कि जो लोग अतिक्रमण कर रहे हैं, वही उन्हें पोलिंग बूथ पर आकर वोट देते हैं. इसलिए उन्होंने कभी इसका विरोध नहीं किया. लेकिन आज जब इस अवैध कब्जे को हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगा दी और लोगों ने सड़कें बन्द करके वहां बुलडोजर को आने से रोक दिया.

भारत को दोष देने में इनकी भूमिका अहम

यानी हमारे देश में अगर कानून के तहत कोई काम किया जाता है, तो उसका भी विरोध होता है. जो लोग इस कार्रवाई के विरोध में शोर मचा रहे हैं, ये वही लोग हैं, जो अक्सर अपने देश में कमियां निकालते हैं और ये कहते हैं कि यहां सड़कें अच्छी नहीं हैं, ट्रैफिक जाम है, सड़कों और फुटपाथ पर अतिक्रमण है और बाकी सुविधाएं भी नहीं है. लेकिन जब इन खामियों को दूर करने की कोशिश की जाती है तो इसका विरोध किया जाता है.

वैकेशन पर हैं राहुल और अतिक्रमण पर कर रहे राजनीति

वरना आप खुद सोचिए अतिक्रमण को हटाना गलत कैसे हो सकता है? इस समय हमारे देश के विपक्षी नेता और मीडिया का एक वर्ग इस कार्रवाई को साम्प्रदायिक बता कर इसका विरोध कर रहा है. हमारे देश के विपक्षी नेताओं ने इस कार्रवाई को भारत के अल्पसंख्यकों से जोड़ दिया है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करके इस कार्रवाई का विरोध किया. उन्होंने लिखा कि ये Demolition यानी ये बुलडोजर भारत के संवैधानिक मूल्यों पर चलाया गया है. इसी में उन्होंने ये भी लिखा कि सरकार गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. राहुल गांधी इस समय भारत में नहीं हैं, वो विदेश में छुट्टियां मनाने के लिए गए हुए हैं. लेकिन वो इस कार्रवाई को भारत के अल्पसंख्यकों से जोड़ देते हैं.

साथ ही AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी दिल्ली के जहांगीरपुरी पहुंचे, हालांकि उन्हें उस इलाके में नहीं जाने दिया गया, जहां अवैध कब्जे हटाए गए हैं. ओवैसी ने भी अतिक्रमण के खिलाफ चले बुलडोजर को अल्पसंख्यकों से जोड़ दिया और उनका कहना है कि सरकार ऐसा करके अल्पसंख्यकों का दमन कर रही है.

SC फिर करेगा सुनवाई

इस मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी और बड़ी बात ये है कि अदालत केवल दिल्ली के मामले की सुनवाई नहीं करेगी. बल्कि पिछले कुछ दिनों में देश में जहां जहां बुलडोजर चलाया गया है, वहां के मामलों पर भी सुनवाई करेगी. इसके लिए जमीयत उलेमा ए हिंद ने एक याचिका दायर की थी और कल इस पर भी सुनवाई की जाएगी. इसके अलावा इस संस्था ने जहांगीरपुरी के मामले में भी कार्रवाई रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी हुई थी. इस संस्था ने ट्वीट करके कहा है कि उसकी अपील पर ही सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी की कार्रवाई को रोका है. इस संस्था ने ये भी ऐलान किया है कि वो जहांगीरपुरी दंगों के आरोपियों का केस भी लड़ेगी.

ये संयोग जानना चाहिए

ऐसे में पूरे दिन देश में JCB ट्रेंड करता रहा. भारत में JCB को लोग बुलडोजर समझते हैं. लेकिन JCB बुलडोजर नहीं है. बल्कि ये एक कम्पनी का नाम है, जो बुलडोजर बनाती है. ये इंग्लैड की एक मशहूर कम्पनी है, जिसका पूरा नाम है, Joseph Cyril Bamford (जोसेफ सिरिल बामफोर्ड). बामफोर्ड वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 1945 में इस कम्पनी की स्थापना की थी. यहां और एक दिलचस्प जानकारी ये है कि कल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री Boris Johnson दो दिन के भारत दौरे पर आ रहे हैं. और इस दौरान कल वो गुजरात के पंचमहाल में JCB के एक Plant में जाएंगे. जहां बुलडोजर बनाए जाते हैं.

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