Dandi March: जब गांधी जी लाठी लेकर निकले और तोड़ा `नमक का कानून`, खूब हुई ब्रिटिश राज की किरकिरी
Dandi Yatra Namak Satyagrah: अहिंसक आंदोलन दांडी मार्च से ब्रिटिश राज की नींव हिल गई थी. भारतीय एक सुर में अंग्रेजों का विरोध कर रहे थे.
Dandi March Reason: आज ही वो दिन है जब अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले दांडी मार्च (Dandi March) का अंत हुआ था. हां, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की लीडरशिप में शुरू हुए इस आंदोलन ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. देश-दुनिया में दांडी मार्च की चर्चा हुई थी और ब्रिटिश राज की जमकर किरकिरी हुई थी. गांधी जी महज 78 लोगों के साथ साबरमती आश्रम से निकले थे और समुद्र के किनारे बसे दांडी गांव तक गए थे. यह एक बड़ा अहिंसक आंदोलन था. आइए जानते हैं कि दांडी यात्रा की खास बातें क्या हैं जिन्होंने अंग्रेजी राज को परेशान कर दिया था.
दांडी यात्रा से परेशान हुए अंग्रेज
दांडी यात्रा का ही नतीजा था कि देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन बड़े पैमाने पर चला था. ब्रिटिश राज को मजबूर होकर गांधी जी को जेल में डालना पड़ा था. हालांकि, 1 साल बाद जब वे रिहा हुए तो बात गोल मेज बातचीत पर पहुंच गई थी. इसी के बाद से स्वराज की बात घर-घर तक पहुंच गई थी. दांडी यात्रा ने कैसे अंग्रेजों को परेशान किया, आइए समझते हैं.
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दांडी मार्च क्यों करना पड़ा था?
दरअसल, अंग्रेजों ने नमक पर टैक्स लगा दिया था. नमक तो हर घर में खाया जाता है. बिना नमक के तो खाना बन ही नहीं सकता है. नमक पर टैक्स की बात की गंभीरता को समझते हुए महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 दांडी मार्च शुरू किया. महात्मा गांधी अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से निकले और 390 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके दांडी पहुंचे.
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अंग्रेजों के नमक कानून का उल्लंघन
6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुंचकर गांधी जी ने अंग्रेजों के नमक कानून का उल्लंघन किया. गांधी जी ने खुद नमक बनाया और उसको बेचा भी. महात्मा गांधी की तरफ से नमक कानून का उल्लंघन करने के बाद भारत के कई शहरों में ऐसा ही आंदोलन हुआ. जिसका नेतृत्व राष्ट्रवादियों ने किया. 24 दिन की पैदल यात्रा में अंग्रेजों ने काफी रुकावटें डालीं. लेकिन गांधी जी नहीं रुके. नमक कानून का उल्लंघन करने वालों पर लाठियां बरसाईं लेकिन विरोध नहीं थमा. अंग्रेजों के खिलाफ तगड़ा सेंटिमेंट बना और हर एक घर तक पहुंचा.