BJP Foundation Day: बीजेपी (BJP) आज अपना स्थापना दिवस (BJP Sthapana Diwas) मना रही है. इस मौके पर राष्ट्रीय स्तर से लेकर बूथ लेवल पर कार्यक्रम हो रहे हैं. दूसरी तरफ बीजेपी की नजर आज नए वर्ल्ड रिकॉर्ड पर है. बीजेपी ने टारगेट रखा है कि आज पार्टी के स्थापना दिवस के दिन ज्यादा से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल कराना है. इसके लिए हर शहर में और बूथ लेवल पर कार्यक्रम होंगे. दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को अबकी बार 400 पार का टारगेट भी दे रखा है. दिलचस्प ये भी है जो बीजेपी अपने शुरुआती दिनों में 'मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा देती थी वह अब 'मोदी की गारंटी' के नारे पर चुनाव लड़ रही है. आइए जानते हैं कि बीजेपी कैसे बुनियाद से बुलंदी तक पहुंची.
जनसंघ के जनता पार्टी से अलग होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने 6 अप्रैल, 1980 को बीजेपी की स्थापना की. जनसंघ का चुनाव निशान पहले दीपक था. लेकिन नई पार्टी बनने के बाद बीजेपी ने अपना चुनाव निशान कमल का फूल रखा. इसका इस्तेमाल अंग्रेजों से आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने भी किया था. यह भारतीयता को दर्शाता है. कमल का फूल हिंदू देवी-देवताओं के हाथ में भी दिखता है. ऐसा करके बीजेपी ने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व दोनों को साधने की कोशिश की. फिर 1984 का चुनाव आया लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए इन चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई और अटल बिहारी वाजपेयी तक चुनाव हार गए. बीजेपी की सिर्फ 2 सीटें आईं. इस चुनाव के बाद से बीजेपी ने रणनीति बदली और फिर कभी मुड़कर नहीं देखा.
1984 के बाद अगला लोकसभा चुनाव आते-आते परिस्थियां बदल गईं. बीजेपी ने पालमपुर अधिवेशन में श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने का संकल्प लिया. पालमपुर अधिवेशन में अयोध्या में विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया. राम मंदिर को बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भी रखा. इससे बीजेपी को अच्छा खासा सियासी लाभ हुआ और बीजेपी 2 सीटों से 85 तक पहुंच गई. हालांकि, बीजेपी अब भी नकारती है कि अयोध्या के मंदिर का मुद्दा उसके लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि आस्था का मुद्दा रहा. लेकिन इस मुद्दे का फायदा साफ तौर पर 1989 के आम चुनाव के रिजल्ट में दिखा.
फिर 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकार बन गई. फिर 25 सितंबर, 1990 को बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा शुरू कर दी. 1990 में रथयात्रा तो बिहार में भले रुक गई लेकिन बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मोबिलाइज हुए. फिर 1991 में बीजेपी की सरकार यूपी में भी आ गई. फिर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया और 4 राज्यों में बीजेपी की सरकारें बर्खास्त हो गईं. हालांकि, बाद में इसका फायदा हुआ. अन्य राज्यों में भी बीजेपी का कमल खिलने लगा. बीजेपी बिहार, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और कर्नाटक में मजबूत हो गई.
फिर 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. बीजेपी ने गठबंधन करके तीन बार सरकार बनाई और अटल बिहार वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बने. लेकिन 2004 में 6 महीने पहले ही चुनाव हो गए. बीजेपी इंडिया शाइनिंग का नारा दिया. जोर-शोर से प्रचार किया गया. लेकिन इस बार दांव उलटा पड़ गया और बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ गया. बीजेपी को 10 साल केंद्र की सत्ता से वनवास काटना पड़ा. लेकिन फिर 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी वापस सत्ता में आ गई. बीजेपी ने अकेले दम पर बहुमत पा लिया. बीजेपी ने 'अबकी बार मोदी सरकार' नारा दिया और केंद्र में बीजेपी सरकार बन गई.
इसके बाद 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 'फिर एक बार मोदी सरकार' नारा दिया और इस बार भी जनता ने भरोसा जताया. बीजेपी को 2014 के मुकाबले 21 सीटें ज्यादा दीं. बीजेपी ने अकेले दम पर 303 सीटें जीत लीं. केंद्र में भी फिर से बीजेपी सरकार बन गई. हालांकि, इस बार बीजेपी के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है और बीजेपी ने अबकी बार 400 पार का नार दिया है. बीजेपी मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांग रही है. हाल में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को भी मिला. लोगों ने मोदी की गारंटी पर भरोसा जाताया. प्रधानमंत्री मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी की गारंटी की बात दोहरा रहे हैं और फिर एक बार केंद्र में बीजेपी सरकार बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं.
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