नई दिल्ली: दिल्ली के बड़े बड़े नालों को अब डेनमार्क की टेक्नोलॉजी से साफ किया जाएगा. भारत सरकार की मदद से पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने लगवाई ऐसी अनोखी मशीन जो हर दिन दिल्ली के नालों से 2 से 3 क्विंटल कचरा निकालती है. दिल्ली के हर एक बड़े नाले में इसी तरह से कचरे का ढेर लगा रहता है. साथ ही मानसून में ये नाले पूरी तरह से जाम हो जाते हैं. जिससे पानी का बहाव आगे से रुक जाता है. वहीं, अब कचरे को निकालने के लिए एक खास मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस मशीने को बूमस एंड एनहेंसर कहा जाता है.


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साइट मैनेजर राहुल यादव ने मशीन की खासियत समझाते हुए बताया कि ये मशीन डेनमार्क की DESMI कंपनी से खरीदी गई है. ये मशीन इसके अलावा बारापुला में लग चुकी है और एक मशीन शाहदरा में लग चुकी है. ये मशीन दो हिस्सों में काम करती है. एक हिस्सा है गाइडिंग बूम, जो पानी के बहाव से कचरे को आगे की तरफ गाइड करता है. दूसरा भाग है उसमें कचरा इकाट्ठा होता है उसे envirno enhancer कहते हैं. जो कि एल्युमीनियम से बना है जो इसे मजबूत बनाता है. इस मशीन को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली के 3 बड़े नालों में लगाया गया है. 



बाबरपुर के अलावा बारापुला और शाहदरा में भी इस मशीन की मदद से नालों में से कचरा बाहर निकाला जा रहा है. हर दिन करीब 2 से 3 क्विंटल कचरा इस मशीन से निकाला जाता है जिसे आगे जाकर अलग-अलग करके प्रोसेस किया जाता है. इस प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए वेस्ट टू वेल्थ मिशन के तहत बाकी 10 बड़े नालों में भी ये मशीन लगाई जाएगी. 



पूर्वी दिल्ली नगर निगम के चीफ इंजीनियर प्रदीप खंडेलवाल का कहना है कि ईडीएमसी में जितने बड़े नाले हैं, सभी आबादी के बीच हैं. लोग उसमे बहुत ज़्यादा कचरा फेंकते थे जिसे साफ करने में बहुत परेशानी होती थी. हम एक ऐसी तकनीक ढूंढ रहे थे जिससे हमें इस समस्या से निजात मिले. हमने ये समस्या एलजी ऑफिस और भारत सरकार के सामने रखी. भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने एलजी के साथ मिलकर, एक प्रपोजल तैयार किया जिसमें डेनमार्क से ये तकनीक लाई गई है.  



उन्होंने बताया कि शुरूआत में हम इसे 2 बड़े नालों में टेस्ट कर रहे हैं. एक रामनगर ड्रेन और एक गोकुल पुर ड्रेन में करेंगे. इस मशीन में एक फ्लोटिंग इन्हेंसर होता है जो बहते हुए कचरे को इकट्ठा करता है जिसे क्रेन की मदद से उठाया जाता है और आगे जाकर segregate किया जाता है. अभी इसके लिए क्रेन का इस्तेमाल हो रहा है. बाद में इसमे कन्वेयर लगा देंगे जिससे कचरा बाहर निकाला जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी प्रिंसिपल साइंटिफ़िक एडवाइज़र के ऑफिस ने पैसे दिए हैं और बाकी मैन पावर पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने उपलब्ध कराई है.