Ghaziabad Pollution: प्रदूषण को लेकर गाजियाबाद के मेयर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया नगर निगम अपनी तरफ से छिड़काव और वाटर स्प्रिंकल मशीनों का उपयोग करते हुए सड़कों से धूल हटाने का काम कर रहा है.
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Ghaziabad Pollution: गाजियाबाद में प्रदूषण की स्थिति अब चिंता बढ़ाने वाली होने लगी है. प्रदूषण का जिले में प्रदूषण का स्तर 300 के पार पहुंच चुका है, जिससे लोगों को अब दिक्कत पहुंचने लगा है. लोगों को सांस लेने में समस्याएं होने लगी हैं. ऐसे में सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है. अस्पताल में काम कर रहे चिकित्सक के अनुसार जो प्रदूषण स्तर में वृद्धि हो रही है उसके कारण सांस और फेफड़ों के मरीजों की समस्याएं बढ़ रही हैं और नए मरीज भी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
धूल हटाने का हो रहा है काम
वहीं जब प्रदूषण को लेकर गाजियाबाद के मेयर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया नगर निगम अपनी तरफ से छिड़काव और वाटर स्प्रिंकल मशीनों का उपयोग करते हुए सड़कों से धूल हटाने का काम कर रहा है, जो प्रदूषण स्तर में कमी लाने का कार्य करेगा. वहीं प्रदूषण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदूषण विभाग संबंधित विभागों से संपर्क कर लोगों के लिए एडवाइजरी जारी कर रहा है और प्रदूषण स्तर में वृद्धि को देखते हुए ग्रैप-2 की पाबंदियों को भी लागू किया गया है. ऐसे में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन साइट का निरीक्षण अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है. नगर निगम आदि एजेंसी से संपर्क कर सड़कों और पौधों पर छिड़काव कराया जा रहा है. तापमान में कमी आने के कारण धूल के कण नीचे नहीं बैठते हैं.
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एहतियात बरतने की जरूरत
बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन के साथ-साथ आम जनता को भी एहतियात बरतने की जरूरत है. जरूरी है कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए लोग निजी वाहनों के इस्तेमाल से बचें. इसके साथ ही जिस गाड़ी में मेंटेनेंस नहीं है उसे चलाने से बचें. इसके साथ ही इंडस्ट्रीज को भी जरूरत है कि वो डीजल-जैंनसेट इत्यादी न चलाएं.
42 दिनों में पराली जलाने की 8 हजार से ज्यादा घटनाएं
इसके साथ ही राजधानी दिल्ली की हवा भी लगातार खराब श्रेणी में बनी हुई है. दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवाओं के पीछे की कई वजहों में से एक वजह पराली जलाए जाने की समस्या भी है. बीते 42 दिनों में पराली जलाने की 8395 घटनाएं दर्ज हुई हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के मुताबिक 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक 42 दिनों में पराली जलाने की घटनाएं 8395 दर्ज की गई हैं. इनमें से दो-तीन दिनों में 2372 घटनाएं सामने हैं. सैटलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने देश के 6 राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं की रिपोर्ट तैयार की है.
INPUT- PIYUSH GAUR