Letter to PM: अगर 49 साल पहले संविधान की हत्या हुई थी तो आज देश कैसे चल रहा?
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2353378

Letter to PM: अगर 49 साल पहले संविधान की हत्या हुई थी तो आज देश कैसे चल रहा?

Bhaskar Rao Rokade: जाने माने विचारक भास्कर राव रोकड़े ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस को घोषित करने के फैसले को बदलने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि देश में आपातकाल हो या नोटबंदी, संविधान के प्रावधानों के मुताबिक ही लागू की गई है.

Letter to PM: अगर 49 साल पहले संविधान की हत्या हुई थी तो आज देश कैसे चल रहा?

Samvidhan Hatya Diwas: देश में इमरजेंसी लागू हुए 49 वर्ष हो गए हैं. 25 और 26 जून 1975 की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था. इसको लेकर हमेशा से इंदिरा गांधी की आलोचना होती रही है. मोदी सरकार ने इसी महीने अधिसूचना जारी कर  25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी. हालांकि इसके बाद से देश के अलग-अलग हिस्सों में बीजेपी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. विपक्ष हमलावर हो गया है. इलाहबाद हाईकोर्ट ने इसअधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा है. इस बीच जाने माने विचारक और लेखक भास्कर राव रोकड़े ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किए जाने पर आपत्ति जताई है.

 पढ़ें: Haryana: सरपंचों के बाद पार्षद भी बने पावरफुल, 1600 से लेकर 30 हजार तक मिलेगा भत्ता

मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस (1 नवंबर से) शुरू हुई नव क्रांति लाने के संकल्प के साथ भास्कर राव रोकड़े ने 45 दिवसीय प्रदेशव्यापी सम्यक यात्रा शुरू की थी. गुरुवार को उन्होंने नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कांफ्रेंस की और पीएम को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करने के फैसले को बदला जाए. 

भास्कर राव रोकड़े ने बताया कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया गया था, उस समय भी संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के बारे में लिखा गया है. उस वक्त भी हमारे देश में संविधान की हत्या नहीं की गई थी. हां उस दौर में यह गलत हुआ था कि विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इसके लिए हम 25 जून को संविधान हत्या दिवस नाम न देकर कुछ और भी कर सकते हैं. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए था.

पढ़ें: Delhi Accident News: द्वारका में अस्पताल की निर्माणाधीन इमारत का बेसमेंट गिरा, 1 की मौत और 8 घायल

आपातकाल की नोटबंदी से तुलना 
इंदिरा गांधी ने देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में खतरे की आशंका से राष्ट्रीय आपातकाल लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी. ठीक उसी तरह देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का निर्णय लिया था. रोकड़े ने कहा कि ये दोनों ही निर्णय संविधान में दिए गए प्रावधानों के तहत ही लिए गए थे. 

किस संविधान से चल रहा है देश?
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर हमारे संविधान की हत्या 49 वर्ष पहले हो गई थी तो आज हमारा देश किस संविधान से चल रहा है. इसको लेकर देश के लोगों में में असमंजस की स्थिति है. जब से संविधान हत्या दिवस की बात सामने आई है, तब से वैश्विक स्तर पर देश की छवि धूमिल हो रही है. इसलिए इस पर विचार विमर्श कर इसे बदला जाए. 

Trending news