सरकार द्वारा ग्रामीण डाक कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उनसे ड्यूटी से अधिक काम लेकर चुटकी भर वेतन थमा दिया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एवं ग्रामीण डाक कर्मचारियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है. इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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ऑल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक संघ के बैनर तले ग्रामीण डाक कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थानीय घंटाघर स्थित डाक विभाग कार्यालय के समक्ष बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रही. इस दौरान धरनारत ग्रामीण डाक कर्मचारियों ने सरकार की वादाखिलाफी व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान धरनारत कर्मचारियों ने चेतावनी भी दी कि यदि सरकार ने जल्द उनकी मांगों को नहीं माना तो आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा.
ऑल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बलजीत कुंगडिया ने कहा कि वे लंबे समय से आमजन की सेवा कर रहे है. यही नहीं कोरोना काल के दौरान भी ग्रामीण डाक कर्मचारियों ने सरकार की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाया तथा ग्रामीण डाक कर्मचारियों की मेहनत के बल पर सरकार ने वाहवाही लूटने का काम किया, लेकिन इसके बावजूद भी केंद्र सरकार की ओर से जो लाभ मिलने चाहिए थे, वो नहीं मिल रहे है. इसी के चलते मजबूरन उन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल जैसा बड़ा फैसला लेना पड़ा. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ग्रामीण डाक कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उनसे ड्यूटी से अधिक काम लेकर चुटकी भर वेतन थमा दिया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एवं ग्रामीण डाक कर्मचारियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है. इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बलजीत कुंगडिय़ा ने कहा कि ग्रामीण डाक कर्मचारी 8 घंटे काम और पेंशन सहित सभी लाभ प्रदान करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि, 12, 24 व 36 वर्ष की सेवा पूरी करने पर तीन समयबद्ध वित्तीय उननयन देने, ग्रेच्युटी पर अधिकतम राशि डेढ़ लाख की सीमा को हटाकर अधिकतम राशि 5 लाख बहाल करने, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, अप्रयुक्त छुट्टियों को 180 दिनों तक आगे बढ़ाने की सुविधा के साथ प्रति वर्ष 30 दिनों की छुट्टी मंजूर करने. समूह बीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाने की मांग को लेकर संघर्षरत है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी उनके द्वारा कई बार सरकार के समक्ष मांगें रखी जा चुकी है, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें सिर्फ आश्वासन दिए गए. ऐसे में अब उनके सब्र का बांध टूट चुका है तथा जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी. ग्रामीण डाक कर्मचारी यू ही हड़ताल पर डटे रहेंगे तथा जरूरत पड़ी तो अपने संघर्ष को तेज करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
Input: Naveen Sharma