इस बार यमुना के किनारे छठ पूजा नहीं होगी. नदी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नेशनल ग्रीम ट्रिब्यूनल ने पूजन सामग्री यमुना नदी में डालने पर रोक लगा रखी है. इस बार कृत्रिम तालाबों में पूजा की जाएगी.
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Chhath 2022: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निर्देश दिए हैं कि इस बार छठ पूजा यमुना किनारे नहीं होगी. इस बार छठ पूजा दिल्ली सरकार की तरफ से बनाए गए कृत्रिम तलाबों में होगी. मंगलवार को हुई दिल्ली राजस्व विभाग की बैठक में ये फैसला किया. वहीं बैठक में अधिकारियों को अपने इलाके में कृत्रिम तालाब तैयार करने के लिए निर्देश दिए गए. इन तालाबों के आसपास जरूरत की चीजों का विकास करने के भी निर्दश दिए गए.
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व्रतियों को नहीं होगी कोई परेशानी
अधिकारियों ने बताया कि एनजीटी ने किसी तरह की पूजन सामग्री यमुना नदी में डालने पर रोक लगा रखी है. इसलिए इस बार गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान मूर्तियों का विसर्जन नदियों में नहीं किया गया. इस बार व्रती सरकार की तरफ से बनाए गए घाटों पर ही पूजा करेंगे और पूजी की सामाग्री उन्ही तालाबों में प्रवाहित करेंगे. वहीं व्रतियों की सुविधा के लिए कृत्रिम तालाबों में उपर्युक्त इंतजाम किए गए हैं. छठ पूजा के बाद इसके निपटान की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की होगी. इस बार केजरीवाल 1100 घाट बनाएगी. वहीं इसके लिए करीब 25 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
बता दें कि इन तमाम सुविधाओं के बावजूद अगर किसी ने पूजा सामाग्री नदियों में डालता है तो उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा. वहीं दिल्ली सरकार ने सभी छठ पूजा समितियों को आयोजन की अनुमति के लिए संबंधित डीएम को एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि पूजा सामग्री कृत्रिम तालाबों में ही विसर्जित होगी. छठ पूजा के लिए दिल्ली के सभी 11 जिलों में जिलाधिकारियों को उत्सव का आयोजन कारने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. वहीं छठ पूजा घाटों पर साफ-सफाई के साथ वहां अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी एसडीएम की होगी. इस साल छठ पूजा 30 और 31 अक्तूबर को की जाएगी.