MP Government Failure: शिवराज सरकार में हुआ एक और फर्जीवाड़ा, कागजों में प्रसव दिखाकर करोड़ों का घोटाला
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MP Government Failure: शिवराज सरकार में हुआ एक और फर्जीवाड़ा, कागजों में प्रसव दिखाकर करोड़ों का घोटाला

CM Shivraj Government Failure: शिवराज सरकार प्रसूता सहायता योजना के माध्यम से प्रसूता महिलाओं को 16 हजार रूपये देने का दावा करती है, लेकिन डिंडोरी में कागजों में प्रसव कराने का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.  

MP Government Failure: शिवराज सरकार में हुआ एक और फर्जीवाड़ा, कागजों में प्रसव दिखाकर करोड़ों का घोटाला

CM Shivraj Government Failure: मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में प्रसूता सहायता योजना में बड़े फर्जीवाड़े की खबर सामने आई है. प्रदेश की शिवराज सरकार प्रसूता सहायता योजना के माध्यम से प्रसूता महिला को 16 हजार रुपये देने का दावा करती है, लेकिन ये योजना महज कागजों में दौड़ती नजर आ रही है. वहीं 3 साल से ज्यादा समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग के अफसर मूकदर्शक बने हुए है, जिससे इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग के कई बड़े अधिकारियों का भी नाम शामिल है. 

क्या है पूरा मामला?
डिंडोरी जिले में साल 2022 में प्रसूता सहायता योजना के द्वारा मिलने वाले 16 हजार रुपये को लेकर बड़े फर्जीवाड़े की खबर सामने आई थी. कागजों में प्रसव का खेल सामने आते ही स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. जिसके बाद विक्रमपुर ब्लाक मेडिकल ऑफिसर ने 29 सितंबर 2022 को मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने और दंडात्मक करवाई से संबंधित पत्र भी लिखा, लेकिन लगभग एक साल का समय बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. 

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कलेक्टर की कमेटी भी नाकाम
स्वास्थ्य विभाग के बाद कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व ने कमेटी बनाई गई. हैरत की बात यह है कि दस माह बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है. प्रशासनिक अमले की लापरवाही की वजह से फर्जीवाड़े का मास्टर मांइड अब तक अब तक खुले में अपना खेल खेल रहा है. वहीं विक्रमपुर के ब्लाक मेडिकल ऑफिसर द्वारा 29 सितंबर 2022 को भेजी गई लिस्ट में 19 फर्जी प्रसव की पुष्टि हुई है, जो महज कागजों में कराए गए हैं. 

आशा कार्यकर्ता और हेल्थ वर्कर्स का बयान 
कागजों में प्रसव को लेकर आशा कार्यकर्ता और हेल्थ वर्कर्स ने अपने बयान में साफ लिखा है की उन्होंने इन महिलाओ की डिलीवरी नहीं कराई है. बाबजूद इसके अबतक भ्रष्टाचार का खेल खेलने वाले खिलाडियों पर आंच नहीं आई है.

स्टाफ नर्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रसूति सहायता योजना में लाभार्थी को 16 हजार रुपए सहायता राशि दी जाती है. गर्भधारण के पश्चात आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन पर 4 हजार और प्रसव उपरांत महिला को 12 हजार रुपए दिए जाते हैं. पंजीयन के समय बनाई गई यूनिक आईडी का उपयोग कर संबंधित राशि महिला के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है. लेकिन कई उपस्वास्थ्य केंद्रों में पंजीयन कर यूनिक आईडी के जरिये कई फर्जी महिलाओं का संस्थागत प्रसव दिखा दिया गया और उनके खातों में 16-16 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए गए.

जांच के दौरान उपस्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ हेल्थ वर्करों ने भी लिखित रूप से जानकारी दी है कि फर्जीवाड़े में जिन महिलाओं के नाम सामने आए हैं उनका पंजीयन नहीं किया गया. वहीं मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि अबतक फर्जीवाड़े में पच्चीस लोगों की जानकारी सामने आई है, लेकिन ये आंकड़े सही नहीं है. फर्जी प्रसव के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है. 

BSP नेता का आरोप
बसपा नेता असगर सिद्दीकी ने स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए फर्जीबाड़े में FIR दर्ज करने की मांग की है, इसके साथ ही शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया है.