Cyber Fraud: रिटायर्ड मेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ की ठगी, 3 धराएं
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Cyber Fraud: रिटायर्ड मेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ की ठगी, 3 धराएं

Crime News: जयपुर साइबर क्राइम पुलिस ने एक रिटायर्ड मेजर जनरल के साथ 2 करोड़ की ठगी करने वाले तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर स्काई ऐप के जरिए डिजिटल गिरफ्तारी का नाटक करते थे.

 

Cyber Fraud: रिटायर्ड मेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ की ठगी, 3 धराएं

Crime News: जयपुर साइबर क्राइम पुलिस ने रिटायर्ड मेजर जनरल के साथ 2 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों में कानाराम गुर्जर, ललित कुमार और सचिन कुमार शामिल हैं. इन तीनों को मानसरोवर स्थित छालान रोड से पकड़ा गया. इस गैंग का मुख्य सरगना, राजकुमार, जिसे मुंबई पुलिस ने 2 अक्टूबर को हिरासत में लिया था, पहले से पुलिस की गिरफ्त में है.

किस तरह से फंसाया गया रिटायर्ड मेजर जनरल को?
साइबर क्राइम एसीपी प्रीति यादव ने जानकारी दी कि पीड़ित रिटायर्ड मेजर जनरल, जो जयपुर के सेक्टर 31 में रहते हैं उन्होंने 27 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, एक व्यक्ति ने खुद को डीएचएल कोरियर का कर्मचारी बताते हुए उनके मोबाइल और आईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाया और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के नाम पर उन्हें डराया. इसके बाद खुद को डीसीपी स्काइप ऐप डाउनलोड करने को कहा. और उन्हें "डिजिटल कस्टडी" में ले लिया.

FD तोड़वाकर की ट्रांस्फर कराए पैसे
इसके बाद ठगों ने उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) तोड़कर वह रकम फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर करा ली. ठगी का शिकार होने के बाद मेजर जनरल ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर आरोपियों के बैंक खातों और फोन नंबरों की जांच की गई.

वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड अधिकारियों को डराकर गिरफ्तार करते थे
गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने पूछताछ में बताया कि वे वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड अधिकारियों को खुद को पुलिस अधिकारी बताकर कॉल करते थे. स्काइप ऐप के जरिए उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी दिखाकर और समझौते के नाम पर उनसे ठगी की जाती थी.

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छात्रों के खातों का उपयोग
ठगी के जरिए जमा की गई धनराशि को जयपुर और जोधपुर में पीजी में रहने वाले छात्रों और रेस्टोरेंट कर्मियों के खातों में ट्रांसफर कराया जाता था. बदले में इन्हें छात्रों और कर्मचारियों को कमीशन दिया जाता था. इसके बाद एटीएम के जरिए नकदी निकाली जाती थी और कैश का लेन-देन किया जाता था. साथ ही, ठगी की गई राशि को यूएसडीटी के जरिए ठगों के बीच बांटा जाता था.

एनसीआरपी पोर्टल पर 76 शिकायतें दर्ज
सचिन से पूछताछ में खुलासा हुआ कि उसके द्वारा दिए गए बैंक खातों के खिलाफ एनसीआरपी पोर्टल पर 76 शिकायतें दर्ज हैं. इन शिकायतों का संबंध तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड, केरल, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, और उत्तराखंड से हैं.

साइबर जागरूकता के लिए सलाह
- किसी भी परिस्थिति में पुलिस फोन कॉल पर डिजिटल गिरफ्तारी नहीं करती है.
- आरबीआई या कोई अन्य संस्था आपके बैंक खाते से नकदी का फिजिकल सत्यापन नहीं करती.
- ऐसा कोई सरकारी बैंक खाता या आरबीआई का SSA (Secret Supervision Account) नहीं है, जिसमें आपको पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा जाए.
- अगर कोई व्यक्ति सीबीआई अधिकारी, साइबर अधिकारी, आरबीआई या किसी अन्य संस्था का प्रतिनिधि बनकर आपसे फोन, इंटरनेट, स्काइप, जूम या वीडियो कॉल के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के केस का डर दिखाता है और पैसे ट्रांसफर करने का करने के लिए कहता है, तो तुरंत अपने नजदीकी थाने में संपर्क करें. इसके अलावा, साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं.