Delhi News: विज्ञापनों में सैन्यबलों और लोकसेवकों के इस्तेमाल का आरोप, दिल्ली HC ने सरकार से जवाब मांगा
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Delhi News: विज्ञापनों में सैन्यबलों और लोकसेवकों के इस्तेमाल का आरोप, दिल्ली HC ने सरकार से जवाब मांगा

केंद्र सरकार पर सरकारी योजनाओं और अपनी उपलब्धियों के प्रचार के लिए सैन्यबलों और लोकसेवकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

Delhi News: विज्ञापनों में सैन्यबलों और लोकसेवकों के इस्तेमाल का आरोप, दिल्ली HC ने सरकार से जवाब मांगा

Delhi News: केंद्र सरकार पर सरकारी योजनाओं और अपनी उपलब्धियों के प्रचार के लिए सैन्यबलों और लोकसेवकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. ये याचिका जगदीप एस छोकर और ईएस शर्मा ने दाखिल की है. 

याचिका में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार अपनी 9 साल की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिए सैन्यबलों का गलत इस्तेमाल कर रही है. ये नियमों के खिलाफ है और किसी राजनीतिक पार्टी के हितों को बढ़ावा देने जैसा है. इसके चलते स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की पूरी प्रकिया ही प्रभावित होती है.

याचिकाकर्ताओं ने सरकार की ओर से जारी दो आदेश को चुनौती दी है. इनमे से एक आदेश रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी गया था. इस आदेश में रक्षा मंत्रालय ने अपनी उपलब्धियों को दर्शाने के लिए आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को देश के प्रमुख शहरों में प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ सेल्फी पॉइंटस स्थापित करने का निर्देश दिया था. दूसरा आदेश कार्मिक विभाग की ओर से जारी किया गया था, जिसमें जॉइंट सेकट्री/ डायरेक्टर/ डिप्टी सेकट्री को सरकार की 9 साल की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए डिस्ट्रिक्ट रथ प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया था.

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हालांकि सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए सैन्यबलों का भी सहारा ले रही है तो उसमें कुछ गलत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जब श्रमिक उत्तराखंड में सुरंग में फंस गए थे, इंडियन आर्मी और एनडीआरएफ ने बेहतरीन काम किया. अगर आर्मी सेल्फी पॉइंट्स के जरिये अपने काम को दर्शाना चाहती है तो इसमे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है. मान लीजिए, मैं पेंशन के फायदे पर सेल्फी पॉइंटस देखता हूं तो जाहिर है मेरी दिलचस्पी इसके बारे में और जानने की होगी. क्या ये किसी विषय पर सार्थक चर्चा को बढ़ावा देना नहीं है!

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर सेल्फी पॉइंट्स पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को इस्तेमाल हो रहा है तो ये कोई नई बात तो नहीं है. विज्ञापनों में हमेशा प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की  तस्वीरों का इस्तेमाल होता रहा है.

कोर्ट ने याचिककर्ता की दलीलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सरकार कोई जनकल्याणकारी योजना ला रही है तो क्या उसका प्रचार नहीं होना चाहिए. हर आदमी चाहता है कि उसे सरकार की नई नई योजनाओं की जानकारी मिली. किसी की दिलचस्पी 50 साल पुरानी स्कीम को जानने की नहीं होती. बहरहाल कोर्ट ने एएसजी चेतन शर्मा से कहा कि वो सरकार के निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएं. इस मामले को लेकर अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी.

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