Hul Diwas : 'इतिहासकारों ने हूल जोहार के योद्धाओं को भुलाया...' संतोष बोले- ये तो शब्दकोश में जोड़ने की जरूरत
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Hul Diwas : 'इतिहासकारों ने हूल जोहार के योद्धाओं को भुलाया...' संतोष बोले- ये तो शब्दकोश में जोड़ने की जरूरत

Hul Diwas : साल 1855 में 30 जून की तारीख को ही झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. संथाल विद्रोह के बलिदानियों की स्मृति में 'माय होम इंडिया' एनजीओ ने दिल्ली में हूल दिवस कार्यक्रम आयोजित किया.

Hul Diwas : 'इतिहासकारों ने हूल जोहार के योद्धाओं को भुलाया...' संतोष बोले- ये तो शब्दकोश में जोड़ने की जरूरत

Hul Diwas : राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को 'माय होम इंडिया' एनजीओ ने 'हूल दिवस' कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, पार्टी सचिव सुनील देवधर, रांची की पूर्व मेयर आशा लकड़ा मौजूद रहीं. इस दौरान बीएल संतोष ने कहा कि देशवासियों को जनजातीय गौरव को समझने की जरूरत है और अपनी नई पीढ़ियों को इतिहास की ऐसी घटनाओं से जोड़ने की आवश्यकता है. बता दें कि 30 जून 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.

जनजाति समुदाय कर रहा है वास्तविक कार्य

दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में हूल जोहार के अर्थ को भी बीएल संतोष ने समझाया. उन्होंने कहा, 'हमें हर रोज ऐसे नए शब्दों को अपने शब्दकोश में जोड़ने की जरूरत है. संस्कृति, पर्यावरण रक्षा की बात हम कमरों में बैठकर करते हैं लेकिन जनजाति समुदाय पर्यावरण और संस्कृति के प्रति जमीन पर रहकर वास्तविक कार्य करते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के कार्यकाल में जो जनजाति समुदाय के विकास कार्य शुरू हुए, वे मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन तक पहुंच रहा है.'

इतिहासकारों ने भुलाया

'माय होम इंडिया' एनजीओ के संस्थापक सुनील देवधर ने इस मौके पर कहा कि इतिहासकारों ने हूल जोहार के योद्धाओं के बलिदान को भुला दिया था. उन्होंने कहा, 'अंग्रेजों से लड़ते- लड़ते हमारे जनजातीय वीर बलिदानी हो गए लेकिन उनके योगदान को कहीं जगह नहीं मिली. साल 2005 से 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भाव से ये संगठन काम कर रहा है, हमने पूर्वोत्तर के प्रति शेष भारत में जागरुकता और आत्मीयता के उद्देश्य से फ्रेटनरिटी कप फुटबॉल टूर्नामेंट, वन इंडिया, नेस्ट फेस्ट जैसे कार्यक्रम आयोजित किए तो 'सपनों से अपनों तक' अभियान के माध्यम से 3300 से ज्यादा बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलाया.'

झारखंड है वीरों की भूमि

रांची की पूर्व मेयर आशा लाकड़ा ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है. उन्होंने कहा, 'इस वीर भूमि के जनजातीय नायक सिदो, कान्हो, चांद, भैरव, फूलो और झानों के बलिदान ने देश में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की नींव डाली. 'अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो' यही उद्घोष हूल क्रांति बन गया.' उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान दौर में झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ जारी है जिस पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है.