स्वीडन की कैरोलिंस्का यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खराब प्रदूषण स्तर और इसकी वजह से कोरोना के मामलों के बढ़ने पर मई 2020 से मार्च 2021 तक स्वीडन के 4 हजार से ज्यादा लोगों पर एक स्टडी की थी.
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शिवांक मिश्रा/दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में अप्रैलने की शुरुआत से ही कोरोना संक्रमण ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है. 4 अप्रैल को दिल्ली में 38 दिनों के बाद कोरोना की रोजाना संक्रमण दर 1% के पार पहुंची थी. वहीं 20 अप्रैल से रोजाना कोरोना के 1 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं. इससे पहले कोविड संक्रमण के 1 दिन में 1 हजार से ज्यादा मामले 10 फरवरी को सामने आए थे.
राजधानी दिल्ली में अचानक बढ़े कोरोना के मामलों पर विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि दिल्ली में कोरोना के मामलों के बढ़ने के पीछे का कारण तेजी से प्रदूषण स्तर का बढ़ना है.
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10 महीने की स्टडी में हुआ खुलासा
स्वीडन की कैरोलिंस्का यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खराब प्रदूषण स्तर और इसकी वजह से कोरोना के मामलों के बढ़ने पर मई 2020 से मार्च 2021 तक स्वीडन के 4 हजार से ज्यादा लोगों पर एक स्टडी की थी. इस अध्ययन के नतीजे 20 अप्रैल को साइंटिफिक जर्नल JAMA Network Open में छपे थे. वैज्ञानिकों ने स्टडी में पाया कि मई 2020 से मार्च 2021 के बीच में इन 4 हजार लोगों में से 425 कोविड से संक्रमित हो गए थे. जब वैज्ञानिकों ने कोविड से संक्रमित लोगों पर और स्टडी की तो पता चला ये सभी लोग जिस शहर में रहते थे, वहां प्रदूषण का स्तर उन लोगों के शहर के मुकाबले काफी ज्यादा था, जो कोविड से संक्रमित नहीं थे.
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जहां मिले संक्रमित, वहां प्रदूषण भी ज्यादा
वैज्ञानिकों के मुताबिक जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे उनके शहर का औसतन प्रदूषण स्तर PM 2.5 में 4.4 microgram per meter cube था, जबकि जिन्हें नहीं हुआ था, उनके शहर का औसतन प्रदूषण स्तर PM 2.5 में 3.8 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब था. स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया कि प्रदूषण एक carrier या आसान शब्दों मे कहें तो Postman की तरह काम करता है. जो कोरोना वायरस के कणों को 6 फीट से भी ज्यादा दूरी पर किसी व्यक्ति के शरीर में आसानी से पहुंचाने में मदद करता है. ऐसे में अगर प्रदूषण का स्तर ज्यादा होगा तो लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की संभावना ज्यादा रहेगी.
दिल्ली में कोविड केस बढ़ने का पैटर्न
दिल्ली में 24 फरवरी को आखिरी बार कोरोना की रोजाना संक्रमण दर 1% से ज्यादा थी. इसके बाद 4 अप्रैल को 38 दिनों के बाद कोरोना की रोजाना संक्रमण दर 1% के पार पहुंची थी. फरवरी के महीने में दिल्ली का औसतन प्रदूषण स्तर 225 (एयर क्वालिटी इंडेक्स) था, जो मार्च में 7% कम होकर 210 हो गया था. वहीं अप्रैल के महीने में दिल्ली का औसतन प्रदूषण स्तर 251 (खराब श्रेणी) में है. यानी प्रदूषण का स्तर मार्च से 19% और फरवरी से 11 फीसदी ज्यादा बढ़ा है.
वायरस को आगे ले जाते हैं प्रदूषण के कण
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली में अचानक कोरोना के मामलों के बढ़ने के पीछे का कारण दिल्ली में बढ़ा हुआ प्रदूषण स्तर भी हो सकता है. क्योंकि प्रदूषण के कण (सल्फर डाइऑक्साइड) एक वायरस के लिए carrier का काम करते हैं और, वे कोरोना वायरस को जमीन की सतह पर गिरने नहीं देते और हवा में मिला लेते हैं. कोविड एक वायुजनित बीमारी है, जो हवा से फैलती है. यानी जब कोई व्यक्ति सांस लेता है और उस हवा में अगर कोरोना वायरस के कण हैं तो सांस लेने पर वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. इसके अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और स्टडी करनी पड़ेंगी
संक्रमित होने से इस तरह बचें
अब आसमान में प्रदूषण भी है और शहर में कोरोना भी तो दिल्ली वालों को विशेषज्ञों की यही सलाह है कि घर के बाहर जितना कम हो सके, उतना कम निकलें और अगर बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें. फिर चाहें वो सर्जिकल मास्क हो या N-95 मास्क.
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24 घंटे में 1,204 नए मामले
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में मंगलवार को कोरोना के 1,204 नए मामले सामने आए. पिछले 24 घंटे में संक्रमण से एक शख्स की मौत हुई है. आकड़ों के मुताबिक पॉजिटिव केस की दर 4.64 प्रतिशत थी. बुलेटिन में कहा गया है कि शहर में संक्रमण लोगों की कुल संख्या अब 18,77,091 हो गई है और कोरोना से मरने वालों की संख्या 26,169 है.