Kamika Ekadashi 2023: कब है कामिका एकादशी? जानें डेट, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व
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Kamika Ekadashi 2023: कब है कामिका एकादशी? जानें डेट, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

Kamika Ekadashi Vrat 2023 Date: सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.  

Kamika Ekadashi 2023: कब है कामिका एकादशी? जानें डेट, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

Kamika Ekadashi Vrat 2023: सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस साल 13 जुलाई को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा. कामिका एकादशी में भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी पूजा का भी विधान है, ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. 

कामिका एकादशी डेट (Kamika Ekadashi Vrat 2023 Date) 
सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 12 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और 13 जुलाई को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगी. उदयातिथि के आधार पर 13 जुलाई को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

कामिका एकादशी में स्नान-दान का विशेष महत्व
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा के साथ ही स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. अगर आप नदी नहीं जा पाते तो नहाने के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डाल दें. कामिका एकादशी के दिन पीली वस्तुओं के दान का विशेष महत्व माना जाता है, इस दिन आप जरूरतमंद लोगों को पीले वस्त्र और खाने की पीली चीजों का दान कर सकते हैं. इसके साथ ही आप पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करें. 

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गुरू को मजबूत करने के लिए करें ये काम
अगर आपकी कुंडली में गुरू कमजोर है तो कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पूजा के दौरान पीले रंग के फूल और मिठाई का भोग लगाएं. इससे कुंडली में गुरू मजबूत होगा.

कामिका एकादशी 2023 की व्रत कथा (Kamika Ekadashi 2023 Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, 'किसी गांव में एक ठाकुर नाम का आदमी रहता था, जो बहुत क्रोधी था. एक दिन उस ठाकुर का ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और उसने गुस्से में आकर ब्राह्मण की हत्या कर दी. बाद में ठाकुर को अपनी गलती का पछतावा हुआ और उसने क्षमा मांगी. वहीं ब्राह्मण की हत्या की वजह से ठाकुर पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया. ठाकुर ने एक सिद्ध मुनि से इस दोष से मुक्ति पाने का उपाय पूछा. तब मुनि ने उसे  श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. ठाकुर ने पूरी श्रद्धा से एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु ने उसे दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया. तब से इस व्रत को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाने लगा.'

Disclaimer- इस आर्टिकल में दी गई जानकारी और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. ZEE MEDIA इनकी पुष्टि नहीं करता है.