जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. इसको लेकर विश्व हिंदू संगठन, महिला आयोग और कई समाजिक संगठनों ने रोष जताया है.
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प्रिंस कुमार/नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली की पहचान जामा मस्जिद अपने एक फैसले को लेकर सुर्खियों में है. जामा मस्जिद ने अकेली लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है. दरअसल जामा मस्जिद प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अब से मस्जिद में लड़कियों को अकेले प्रवेश की अनुमति नहीं है. जामा मस्जिद के तीनों गेट पर एक पट्टी लगाई गई है, जिस पर लिखा गया है कि जामा मस्जिद में लड़कियों का अकेले दाखिल करना मना है.
सामाजिक रुप से मिल रही आलोचना
मस्जिद के इस आदेश को समाजिक रुप से आलोचना मिल रही है. यह आदेश तब लाया गया है जब पूरी दुनिया महिला हितों की बात कर रही है. ईरान समेत कई इस्लामिक मुल्कों में महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं. लोग इस आदेश को कट्टरवादी शरिया मानसिकता वाला आदेश बता रहे हैं. मामले के लिए यह भी कहा गया है कि यह फैसला आधी आबादी के साथ सौतेला व्यवहार वाला है. समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस देश में सबको बराबरी का अधिकार मिला हो उस देश में ऐसा कानून संविधान को ताख पर रखने जैसा है.
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विश्व हिंदू संगठन ने कहा महिलाद्रोही कानून
विश्व हिंदू संगठन के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि यह मामला महिला विरोधी है और यह महिलाओं के साथ दोयमदर्जे का व्यवहार है. साथ ही विश्व हिंदू संगठन ने राष्ट्रीय महिला आयोग और केन्द्रीय महिला एंव बाल विकास मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप करने की आग्रह किया है.
महिला आयोग ने आपत्ति जताया
दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी किया है . इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट करके दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फैसला बिलकुल गलत है. जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी है.