Faridabad News: सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गोवंश के सरंक्षण के लिए मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश दिए हैं. बावजूद इसके शहर में बेसहारा गोवंश सड़कों घूमते रहते हैं. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी जमीनी हकीकत नहीं बदली हैं.


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शहर में सरकारी गोशाला में व्यवस्था नहीं होने से बेसहारा गोवंश दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं. लाखों रुपये का बजट खर्च होने के बाद भी इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है. शहर की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे गोवंश के कारणों का जानने के लिए हम पहुंचे बल्लभगढ़ की नंदीग्राम गौशाला जो सरकार के सहयोग से चल रही है.


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वहां का नजारा चौंकाने वाला था. इस गौशाला की क्षमता लगभग 300 गोवंश रखने की है, लेकिन वहां पर लगभग 600 से ज्यादा गोवंश मौजूद थे. गोवंश न तो ठीक से खड़ा हो पा रहा था और न ही आराम से बैठ पा रहा था, क्योंकि जगह की कमी थी.


गौशाला संचालक रुपेश यादव बताते हैं कि बल्लबगढ़ की यह गौशाला पिछले कुछ वर्षों से शहर की सड़कों पर पशु पालकों द्वारा छोड़ी जाने वाले गौवंश के लिए शरण स्थली बनी हुई है, लेकिन अब यहां पर गायों की संख्या क्षमता से अधिक पहुंच चुकी है.


वैसे तो इस इस गौशाला में यहां गोवंश रखने की क्षमता लगभग 300 तक है, लेकिन गोवंश की संख्या बढ़ते-बढ़ते 600 से ज्यादा पहुंच गई है. ऐसे में अब गौवंश को यहां रखने की जगह नहीं है. लिहाजा शहर में धूम रहीं गायों को यहां शरण नहीं मिल रही है. साथ ही साथ लगातार गौशाला में बढ़ रहे गोवंश की संख्या के कारण यहां चारे की समस्या भी लगातार बनी हुई है.


गौशाला में आये देवेंद्र शर्मा बताते हैं कि जब तक गाय दूध देती है उसे घर पर रखते हैं. गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे सड़क पर बेसहारा छोड़ देते हैं न कि उसे गौशालाओं में भेजते हैं, क्योंकि वहां पर उनकी पर्चियां कटती है. सड़क पर गोवंश पॉलिथीन और कूड़े में खाना खाते हैं, जिस से वह बीमार होती है. यह आम जनता की कमी है. गोवंश की दुर्दशा के सुधार के लिए देवेंद्र सरकार से गौशाला में जगह की मांग करते हैं.


Input: Amit Chaudhary