ज्यादा ठंड में बढ़ सकता है अस्थमा और हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें अपनों का ख्याल
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ज्यादा ठंड में बढ़ सकता है अस्थमा और हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें अपनों का ख्याल

दिल्ली-एनसीआर में भीषण सर्दी से जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है. कई इलाकों में न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री तक पहुंच गया है. हाड़ कंपा देने वाली शीतलहर के बीच गाजियाबाद में स्कूलों की छुट्टी 11 तारीख तक बढ़ा दी गई है.

ज्यादा ठंड में बढ़ सकता है अस्थमा और हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें अपनों का ख्याल

गाजियाबाद : दिल्ली-एनसीआर में भीषण सर्दी से जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है. कई इलाकों में न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री तक पहुंच गया है. हाड़ कंपा देने वाली शीतलहर के बीच गाजियाबाद में स्कूलों की छुट्टी 11 तारीख तक बढ़ा दी गई है. मौसम विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक पूरे उत्तर भारत में शीतलहर के चलते कड़ाके की ठंड बनी रहेगी. ठंड से बचने के लिए जहां एक तरफ लोगों को घर से बाहर जरूरी होने पर ही निकल रहे हैं तो वहीं घरों में हीटर और ब्लोअर का सहारा ले रहे हैं. 

हालांकि जरूरत पड़ने पर घर से निकलना ही पड़ता है. ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि  शीतलहर को गंभीरता से लें. ऐसे मौसम में थोड़ी भी लापरवाही मुश्किल पैदा कर सकती है. वरिष्ठ चिकित्सिक डाॅ बीपी त्यागी के मुताबिक़ मौजूदा समय की ठंड कई बीमारियों की वजह बन सकती है. ठंड में एग्जिमा, आर्थराइटिस, अस्थमा, खांसी जुकाम, हार्ट और ब्लड प्रेशर की समस्याएं समेत कई प्राकार की वायरल इलनेस का खतरा बना रहता है.

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डाॅ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड का मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए परेशानी भरा होता है. ठंड में सांस की नली में सूजन बढ़ जाती है. जिसकी वजह से न सिर्फ सांस लेने में समस्या होती है, बल्कि बार- बार खांसी आती है और सीने में जकड़न महसूस होती है. अस्थमा के मरीजों को ठंड में ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए. घर से कम निकलना चाहिए. घर से बाहर जा रहे हैं तो मास्क का इस्तेमाल करें.

तेज गर्म पानी से नहाने की न करें भूल 
डॉ त्यागी बताते हैं कि ठंड में शरीर में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है. जिसकी वजह से स्किन पर ड्राइनेस आ जाती है. ऐसी स्थिति को एक्जिमा या डर्मिटाइटिस कहते हैं. ठंड में स्किन प्रॉब्लम्स से बचने के लिए नहाने के लिए तेज गर्म पानी का इस्तेमाल न करें. यदि नहाने के दौरान तेज गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं तो स्किन प्रॉब्लम्स और बढ़ने का खतरा रहता है. नहाने के बाद स्किन पर मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. डाइट में विटामिन D लें जैसे संतरा, मशरूम आदि का सेवन हितकर रहेगा. डॉ त्यागी ने बताया कि ठंड में शरीर में ब्लड सरकुकेशन कम हो जाने की वजह से जोड़ो में दर्द होता है. ये समस्या आर्थराइटिस के मरीजों में काफी देखने को मिलती है. ऐसे में डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें.

नियमित अंतराल पर कराएं हेल्थ चेकअप
ठंड में हार्ट ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में नियमित रूप से चेकअप कराएं. ठंड के मौसम में खांसी जुकाम होना आम बात है. खांसी जुकाम से बचने के लिए ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से बचें. गुनगुना पानी पिएं. डॉक्टर से परामर्श लें.

ब्रेन अटैक से इस तरह बच सकते हैं 
फिलहाल बुजुर्गों को अर्ली मॉर्निंग और शाम के बाद वॉक पर जाने से बचना चाहिए. धूप निकलने पर ही टहलने जाएं. घरों में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल ध्यानपूर्वक करें. बंद कमरे में सामान्य हीटर का इस्तेमाल करने से कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा काफी अधिक हो जाती है. जिससे कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. कमरे में ऑक्सीजन की कमी होने से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है.

कानों को ढंककर रखना जरूरी 
घर से निकलने पर कानों को सर्द हवाओं से बचाना बहुत जरूरी होता है.. कान के पदों पर ठंडी हवाएं लगने से कान के पर्दे सूझ सकते हैं, जो दर्द का कारण बन सकता है. गर्म कपड़े से कानों को ढंककर घर सड़े निकालें. 

ह्यूमिडीफायर का इस्तेमाल करें 
ठंड में छोटे बच्चों को खांसी जुखाम होना काफी आम बात है. ऐसे में बच्चों की नाक बंद हो जाती है और सांस लेने में परेशानी होती है. किसी भी तरह की नेजल ड्रॉप का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें और बच्चों के कमरे में ह्यूमिडीफायर का इस्तेमाल करें.

 

 

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