गोवर्धन पूजा इस बार नहीं होगी दिवाली के अगले दिन, जानें फिर कब मनेगा त्योहार
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गोवर्धन पूजा इस बार नहीं होगी दिवाली के अगले दिन, जानें फिर कब मनेगा त्योहार

इस बार गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के अगले दिन नहीं मनाया जाएगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दिवाली के अगले दिन सूर्यग्रहण पड़ रहा है. इसके चलते गोवर्धन का त्योहार दिवाली के एक दिन छोड़कर मनाया जाएगा.

गोवर्धन पूजा इस बार नहीं होगी दिवाली के अगले दिन, जानें फिर कब मनेगा त्योहार

Govardhan Puja: पहले करवाचौथ और अब गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर भी असमंजस हो रही है. गोवर्धन पूजा का त्योहार हर साल दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है. वहीं इस बार सूर्यग्रहण की वजह से इस बार गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के अगले दिन नहीं ब्लकि एक दिन छोड़कर मनाया जाएगा. इस बार दिवाली 24 अक्टूबर 2022 की है. इस हिसाब से गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर 2022 को मनायी जाएगी.

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बता दें कि दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण पड़ रहा है. इस कारण गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं बल्कि 16 अक्टूबर को मनायी जाएगी. गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं. गोवर्धन पूजा को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र देव को पराजित किए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. चलिए आपको इस साल गोवर्धन पूजा का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि बताते हैं.

शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को बुधवार के दिन मनायी जाएगी. बता दें कि गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा. वहीं पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 36 मिनट से सुबह 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

नियम और विधि
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले आप गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाएं. इसके बाद पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, नैवेद्य, दीप फूल और फल आदि चढ़ाएं. इस दिन गोबर से गोवर्धन जी को लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाया जाता है. नाभि की जगह पर मिट्टी का दीया रखा जाता है. इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद और बताशे आदि डाले जाते हैं. इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. पूजा करने के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा लगाई जाती है. परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल के साथ जौ गिराते हुए परिक्रमा की जाती है. 

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