Haryana News: फरीदाबाद की तिगांव विधानसभा के चांदपुर गांव में रहने वाले सूरजपाल भूरा आज आसपास के क्षेत्र में एक किसान के रूप में जान-माना नाम है, जिन्हें एक प्रगतिशील किसान के रूप में जाना जाता है. निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सूरजपाल अपने बड़े भाई के साथ मिलकर अपने पारंपरिक खेती को अपनाते हुए सब्जियों की ऑर्गेनिक खेती कर प्रगतिशील किसान की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं.


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सूरजपाल ने सरकार की किसान पाठशालाओं से सीख ली और सब्जियों के अलावा दूसरी फसलों की बिजाई कर बड़े भाई के साथ मिलकर दोहरा मुनाफा कमा रहे हैं. बिना कोई रसायन खाद के गाय के गोबर से तैयार खाद से किसान ने अपने खेत में सब्जियों के बीज व पौध भी तैयार की हैं. किसान मेलों में सब्जियों से कमाई की मार्केटिंग भी सीखी और दूसरे किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती करने बारे जागरूक कर रहे हैं.


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किसान के जज्बे को कृषि विभाग ने भी सराहते हुए दूसरे किसानों को भी ऐसी खेती करने की सलाह दी है. जैविक खेती करने वाले किसान सूरजपाल भूरा कहते हैं कि किसान का यह अच्छा प्रयास है. रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना अच्छी पहल है, इससे दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है.


बता दें कि तिगांव चांदपुर गांव निवासी सूरजपाल भूरा को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली थी, लेकिन गांव की खुली हवा में सांस लेने वाले एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले सूरज पाल बुरा को गांव शहर की बगदाद वाली, जिंदगी रास नहीं आई तो नौकरी छोड़कर वापस अपने गांव आ गए और अपने बड़े भाई के साथ खेती-बाड़ी में उनका सहयोग करते हुए अपनी पारंपरिक खेती से जुड़ गए.


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लेकिन, पारंपरिक खेती में समय मेहनत मुनाफा को देखते हुए जल्द ही व्यावसायिक खेती की ओर रुख किया और अपनी परंपरागत खेती की जगह ऑर्गेनिक खेती करने का निर्णय लिया. ऑर्गेनिक व कमाई की खेती के लिए सूरजपाल ने सरकार की किसान पाठशाओं से नए तरीके से खेती करना सीखा और अब वह गाय के गोबर से घर पर बनाई खाद से एक सीजन में चार सब्जियों की पैदावार कर दोहरी कमाई कर रहे है. किसान ने पोर्टल पर आवेदन करते हुए योजनाओं का लाभ लेकर खेत में सोलर सिस्टम के अलावा इरिगेशन व मल्चिंग भी लगाया है.


आज सूरजपाल अपने खेतों में जैविक खेती करते हुए दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं. सीजन के हिसाब से वह सब्जियां लगते हैं. एक समय में तीन से चार प्रकार की सब्जियों की पैदावार लेते हैं फिर चाहे वह मटर हो, आलू हो, गाजर हो, मेथी पालक हो, गेहूं हो या सरसों. सभी फसलों को बिना केमिकल के पैदावार करते है. आसपास के क्षेत्र में इनकी उगाई हुई सब्जियों की खूब मांग है. आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में एक प्रगतिशील किसान की पहचान रखने वाले सूरजपाल भूरा ग्रामीण क्षेत्र के किसान व युवाओं से अपील करते हुए कहते हैं कि किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती करनी चाहिए.


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जो युवा शहर में चंद हजार रूपों की नौकरी करने अपने गांव को छोड़ कर शहर की ओर जाते हैं. वहां के प्रदूषित वातावरण में रहने पर मजबूर होते हैं. अपने परिवार से दूर रहते हैं. तो उन्हें अपने गांव में ही रहकर रोजगार तलाशना चाहिए. उन्हें व्यावसायिक खेती करनी चाहिए, जिससे वह अपने घर परिवार, समाज से जुड़ सके, अपनी आय को दोगुनी कर सके, अपने रिश्तों की जड़ों को मजबूत कर सके.


(इनपुटः अमित चौधरी)